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Organ Trafficking के खिलाफ दो-वर्षीय बच्चे ने दायर की याचिका, Supreme Court ने किया रद्द

Supreme Court

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक याचिका को खारिज हुई है जो 2019 में, ऑर्गन ट्रैफिकिंग के खिलाफ, एक दो साल के बच्चे द्वारा दायर की गई थी। इस याचिका का उद्देश्य क्या था और याचिका को अदालत ने क्या कहकर खारिज किया, आइए जानते हैं...

Written By Ananya Srivastava | Updated : July 28, 2023 3:49 PM IST

नई दिल्ली: शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) ने 2019 की एक याचिका को खारी किया है जिसकी याचिकाकर्ता की उम्र तब सिर्फ दो साल थी। इस याचिका में देश में अवैध अंग तस्करी पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी और साथ ही ऐसे मामलों की केंद्रीय भारतीय ब्यूरो (सीबीआई) जांच के लिए भी प्रार्थना की गई थी।

उच्चतम न्यायालय के न्यायदहेश संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) और न्यायाधीश सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) की पीठ ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 (Article 32 of The Constitution of India) के तहत दायर इस याचिका को रद्द कर दिया।

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याचिका को SC ने किया खारिज

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ न कहा कि देश में होने वाली हर बुराई का समाधान और रामबाण (Panacea) उच्चतम न्यायालय नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस याचिका को देखकर ऐसा लग रहा है कि कुछ दूसरे इरादों की पूर्ति के लिए एक बच्चे क इस्तेमाल किया जा रहा है।

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अदालत ने याचिका को खारिज तो कर दिया लेकिन इसके साथ-साथ संबंधित प्राधिकारियों से यह भी कहा कि याचिका में जो अनुरोध किये गए हैं, उनपर 'न्यायाधीश जेएस वर्मा कमिटी रिपोर्ट' के आधार पर एक बार ध्यान दिया जाए। बता दें कि ये रिपोर्ट मानव तस्करी (Human Trafficking) से जुड़े मामलों पर काम तैयार की गई थी।

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जानें याचिका में क्या लिखा था

बता दें कि इस याचिका को 2019 में देवर्ष जैन नाम के एक बच्चे ने अपनी मां के माध्यम से इसे दायर किया था और उस समय उनकी उम्र सिर्फ दो साल थी। देश में बढ़ते अंग तस्करी के मामलों में सीबीआई जांच की मांग इस याचिका में की गई थी।

याचिका में इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें डॉक्टरों ने अवैध तरीके से किडनी और अन्य अंगों को गरीब मरीजों के शरीर से निकालकर अमीर मरीजों को बेची हैं।