SC Diamond Jubilee: CJI DY Chandrachud ने वकीलों के लिए लंबी छुट्टियों और फ्लेक्सि-टाइम सहित अन्य चुनौतियों पर कही ये बात
नई दिल्ली: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार (28 जनवरी, 2024) को अपना 75वां स्थापना दिवस एक खास डायमंड जुबली ईयर (Diamond Jubilee Year) सामरोह के साथ मनाया. इस मौके पर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के साथ न्यायपालिका के अन्य सदस्य मौजूद रहे. स्थापना दिवस के कार्यक्रम के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका की चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा, 'अब समय आ गया है कि हमें न्यायपालिका को प्रभावित करने वाले संरचनात्मक मुद्दों जैसे लंबित मामलों, पुरानी प्रक्रियाओं और स्थगन (कुछ समय के लिए रोकना) के तौर- तरीकों पर काम करना चाहिए.' सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकीलों और जजों की लंबी छुट्टियों और उनके लिए फेलक्सिटाइम का भी मुद्दा उठाया.
चुनौतियों से निपटने के लिए अग्रसर
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी पेशे को स्थगन संस्कृति से उठकर व्यावसायिक संस्कृति में उभरना चाहिए. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि न्यायपालिका को वकीलों और जजों के लिए लंबी छुट्टियों और प्लेक्सिटाइम जैसे विकल्पों को कार्य पद्धति में लाने की ओर अग्रसर होना चाहिए जिससे न्यायपालिका की प्रसांगिकता समय के साथ बढ़ती रहे. वहीं, सीजेआई ने कानूनी पहल में चुनौतियो की ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि एक संस्था के रूप में प्रासंगिक बने रहने की हमारी क्षमता के लिए हमें चुनौतियों को जानने और उस पर कठोरता से काम करने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट पर लोगों का बढ़ा है विश्वास
सीजेआई ने अपने वक्तव्य के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उचित न्याय के लिए अपने मामलों को लेकर आने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी लोकस स्टैंडी के मानकों को कम करके संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के अधिकार को बढ़ाया है.
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क्या होता है फ्लेक्सिटाइम ?
फ्लेक्सिटाइम (Flexitime) एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें किसी ऑफिस में काम करने वाले लोगों वालों लोगों को अपने तरीके अपने नियत कार्य करने की स्वतंत्रता देता है. इस व्यवस्था में कामकाजी लोग अपने सुविधा के अनुसार काम कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, भारत में सामान्यत: काम करने की अवधि (Working Hour) की 9 बजे से शायं 5 बजे तक होती है. इस दैरान कुछ मुख्य वर्किंग आवर (जैसे सुबह 10 से 12 बजे तक) होते हैं, इस दौरान लोगों को अपने काम पर रहना जरूरी होता है, वहीं बाकी के ऑफिस आवर में वह मिले कार्य को अपने तरीके से कर सकते हैं.