डीके शिवकुमार के खिलाफ CBI की जांच रहेगी जारी, SC ने आय से अधिक संपत्ति मामले में सुनाया फैसला
Disproportionate Assets Case: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कथित आय से अधिक संपत्ति (डीए) मामले में उनके खिलाफ सीबीआई की कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी. डीके शिवकुमार ने सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी आय अधिक संपत्ति मामले की जांच पर रोक लगाने से इंकार किया था.
आय से अधिक मामले की CBI जांच रहेगी
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2023 के फैसले बरकरार रखा है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने डीके शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज मामले को रद्द करने से मना कर दिया था. अपने आदेश में कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के नटराजन की पीठ ने सीबीआई जांच पर जारी स्थगन आदेश को हटा दिया और एजेंसी को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
पूरा मामला क्या है?
अक्टूबर 2020 में, सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) और 13 (1) (E) के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शिवकुमार ने पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार में ऊर्जा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी. यह आरोप लगाया गया था कि शिवकुमार ने 2013 और 2018 के बीच 74 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की, जिसे उनकी आय के ज्ञात स्रोतों के मुकाबले अधिक माना गया. येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा नीत कर्नाटक सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. मौजूदा सीएम सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 28 नवंबर, 2023 को डीए मामले की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले ली थी. सीबीआई से सहमति वापस लेने के बाद मामले को जांच के लिए लोकायुक्त को सौंप दिया गया था. इससे पहले, इस साल मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने शिवकुमार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा शुरू की गई मनी लॉन्ड्रिंग जांच को रद्द कर दिया था. ईडी ने आयकर विभाग द्वारा दायर आरोपपत्र के आधार पर शिवकुमार, नई दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन के कर्मचारी हनुमनथैया और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की.
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