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Supreme Court AoR Exam 2022: 260 अधिवक्ता हुए परीक्षा में सफल

AoR Exam परिणाम के अनुसार कुल 93 उम्मीदवारो को फिर से परीक्षा देने के लिए योग्य माना गया है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : April 18, 2023 6:01 PM IST

नई दिल्ली:देश की सर्वोच्च अदातल में पक्षकारों की पैरवी करने के साथ ही याचिका दायर करने की योग्यता हासिल करने में 260 अधिवक्ता सफल हुए है.

मंगलवार को Supreme Court AoR Exam 2022 का परीक्षा परिणाम जारी किया गया है. परिणाम के अनुसार 260 अधिवक्ताओं ने यह परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है. यह परीक्षा दिसंबर 2022 में आयोजित की गई थी.

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार, केवल एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के रूप में नामित अधिवक्ता ही सुप्रीम कोर्ट में एक पक्ष के लिए पैरवी कर सकते हैं.

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93 उम्मीदवार फिर से दे सकेगे परीक्षा

AoR Exam परिणाम के अनुसार कुल 93 उम्मीदवारो को फिर से परीक्षा देने के लिए योग्य माना गया है.

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सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 के तहत बनाए गए एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड परीक्षा से संबंधित विनियमों के विनियम 11(i) के अनुसार 73 वकील फिर से उपस्थित होने के पात्र घोषित किए गए है.

नियम 11 (i) एक अधिवक्ता को पुन: उस परीक्षा में उपस्थित होने की अनुमति देता है जो एक पेपर में 50 प्रतिशत प्राप्त करने में विफल रहा है, लेकिन शेष पेपरों में कुल 60 प्रतिशत प्राप्त किया है, विफल रहे पेपर को बाद की परीक्षा में उस पेपर के लिए उपस्थित होने के लिए अनुमति दी जाती है.

यदि उम्मीदवार बाद की परीक्षा में उस पेपर के लिए 50 प्रतिशत प्राप्त करता है और यदि पेपर में प्राप्त किए गए अंक पिछली परीक्षा में शेष पेपरों में प्राप्त अंकों के साथ पुन: परीक्षा में प्राप्त अंकों के कुल अंक का 60 प्रतिशत है, तो वह / वह एओआर परीक्षा उत्तीर्ण घोषित किया जाता है.

वही नियम 11(ii) के अनुसार 20 वकील पुन: पेश होने के पात्र हैं. नियम 11(1ii) के अनुसार यदि कोई उम्मीदवार किसी एक परीक्षा में सभी प्रश्नपत्रों में उत्तीर्ण होता है, लेकिन कुल अंकों के 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने में विफल रहता है, तो वह बाद की किसी भी परीक्षा में केवल एक प्रश्नपत्र में उपस्थित हो सकता है और उसे एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने की घोषणा की जाती है.

यदि बाद की परीक्षा में उसके द्वारा प्राप्त किए गए अंक पिछली परीक्षा में शेष प्रश्नपत्रों में प्राप्त अंकों के साथ सभी प्रश्नपत्रों में कुल अंकों के 60 प्रतिशत हैं तो उसे उसे एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण होने की घोषणा की जाती है.

क्या है AoR Exam

देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में बहस करने के लिए अधिवक्ता को एक विशेष परीक्षा से गुजरना पड़ता है, जिसे एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (Advocate-on-Record) कहते हैं.

'एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड' सुप्रीम कोर्ट में एक पद होता है. इस पद को प्राप्त करने के बाद ही कोई अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के समक्ष पेश हो सकता है. इसे प्राप्त करने हेतु किसी भी वकील को कोर्ट द्वारा आयोजित परीक्षाओं को पास करना होता है, साथ ही कोर्ट द्वारा तय किए गए मानदंडों को पूरा करना होता है.

वह अधिवक्ता जो 'एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड' बन जाता है वह संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत भारत के सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनाए गए सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 के आदेश IV (भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पहले आदेश IV, 1966) के तहत काम करने के हकदार हो जाता है. साथ ही साथ हमारे देश के सुप्रीम कोर्ट में एक पक्ष की पैरवी करने के लिए हकदार हो जाता है.

ये वे अधिवक्ता होते हैं जिनके नाम अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत बनाए गए किसी भी राज्य बार काउंसिल के रोल में दर्ज होते हैं और वे किसी भी अदालत या न्यायाधिकरण में किसी पक्ष की ओर से किसी भी मामले में उपस्थित हो सकते हैं और बहस कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में प्रत्येक वकील चाहे वह जूनियर हो या सीनियर हो, हर किसी लॉयर को Advocate on Record की सूची में अपना नाम पंजीकृत करना होता है. सुप्रीम कोर्ट के Lawyer/ Advocate को Advocate on Record भी कहा जाता है.

इसकी जरूरत क्यों पड़ी

कानून की भाषा हर कोई नहीं समझ सकता है क्योंकि वो जटिल होती है. इसे समझने के लिए इसके बारे में जानकारी होना जरूरी है. कई बार ऐसा होता है कि कोर्ट में गैर अनुभवी वकील अपने क्लाइंट के पक्ष को रखते हैं और कुछ गलतियां कर बैठते है जिसके कारण कोर्ट केस के रद्द कर देता है. इसके कारण क्लाइंट को काफी परेशानी होती थी.

उस परेशानी को खत्म करने के लिए इस सिस्टम को बनाया गया है, इसके अलावा कोर्ट के कार्यों की गुणवत्ता को और बढ़ाने के लिए और अधिवक्ताओं का ब्यौरा रखने के लिए इस सिस्टम की जरूरत पड़ी.

सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड पर एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वह अधिवक्ता (वकील) होता है, जो कोर्ट के समक्ष सही, अपने अधिकार के रूप में, उपस्थित हो सकता है, वकालत कर सकता है और संबोधित कर सकता है.

अन्य अधिवक्ता (नॉन-एओआर), अगर कोर्ट को संबोधित करना चाहते हैं, तो या तो उन्हें एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड की ओर से निर्देश दिया जाना चाहिए या कोर्ट की ओर से अनुमति उनके होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 के आदेश IV का नियम 1, यह स्पष्ट करता है कि किसी पक्ष की ओर से एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के अलावा कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं करेगा, पैरवी या संबोधन नहीं करेगा, जब तक कि उसे एडवोकेट-ऑन द्वारा निर्देश नहीं दिया जाता है या अदालत अनुमति नहीं देगी.

नियम 5 जो है वो एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के रूप में पंजीकृत होने की अधिवक्ता की योग्यता से जुड़ा है. अनिवार्य प्रशिक्षण, एओआर परीक्षा उत्तीर्ण करने अलावा, सुप्रीम कोर्ट से 16 किलोमीटर के दायरे में दिल्ली में उसका एक कार्यालय हो. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.