Advertisement

'मंदिरों के मेले 'सरकारी मेला' घोषित करना अनुचित', यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ Allahabad HC पहुंचे सुब्रमण्यम स्वामी

याचिका में राज्य सरकार की 18 सितंबर और 3 नवंबर 2017 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है, जिसके अनुसार मां ललिता देवी शक्तिपीठ, मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ देवीपाटन आदि मेले को सरकारी मेला घोषित किया गया है.

Written By Satyam Kumar | Published : December 7, 2024 3:07 PM IST

बीजेपी नेता व पूर्ण सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने यूपी सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें सरकार ने राज्य के मंदिरों के उत्सव का प्रबंधन व प्रशासन अपने हाथ में ले लिया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) के सहारे राज्य सरकार के साल 1017 के फैसले को चुनौती दिया है. 18 सितंबर  2017 के दिन जारी अधिसूचना के अनुसार, राज्य सरकार ने मंदिरों व उनके धार्मिक समारोहों के प्रशासन, प्रबंधन और नियंत्रण को अपने अधिकार में लिया था.

9 दिसंबर को चीफ जस्टिस की पीठ करेगी सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास कुमार बुधवार की अगुवाई वाली पीठ सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर 9 दिसंबर के दिन सुनवाई करेगी. साल 2017 में मंदिरों द्वारा आयोजित मेले को सरकारी मेला घोषित किया था, जिसे बीजेपी नेता ने असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है.

Advertisement

Also Read

More News

सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार का ये फैसला अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समता का अधिकार), 25 (धर्म के अबाध रूप से प्रचार की स्वतंत्रता) और 31-ए (अधिग्रहण के लिए सरकार द्वारा नियमों का पालन किया जाना) आदि का उल्लंघन है.

Advertisement

इन मंदिरों के मेले का प्रबंधन है 'सरकारी'

याचिका में राज्य सरकार की 18 सितंबर और 3 नवंबर 2017 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है, जिसके अनुसार मां ललिता देवी शक्तिपीठ, मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ देवीपाटन, तुलसीपुर बलरामपुर, नैमिषारण्य सीतापुर, मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ मिर्जापुर और शाकुंभरी माता मंदिर सहारनपुर में आयोजित मेलों को सरकारी मेला घोषित किया गया है.