शिल्पा शेट्टी-रिचर्ड गेरे किसिंग केस में Bombay High Court ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब, जानिए किन धाराओं में हुआ था मामला दर्ज
नई दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शनिवार को बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी की उस याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें 2007 में राजस्थान में एक प्रचार कार्यक्रम में हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे ने सार्वजनिक रूप से शिल्पा को किस कर लिया था. जिसके बाद उनके खिलाफ अश्लीलता का आरोप लगाकर शिकायत दर्ज की गई थी. उसी शिकायत को रद्द करने की मांग शिल्पा शेट्टी की ओर से की गई थी. शिल्पी ने जो याचिका दाखिल की थी, उसमें उन्होंने सरकार और रेस्पोंडेंट से साल 2007 में घटे किसिंग वाकया पर हुई फआईआर को रद्द करने की मांग की थी. लेकिन इसपर कोई जवाब उन्हें नहीं मिला था. न ही एफआईआर को रद्द किया गया था.
Bombay HC ने मांगा जवाब
एकल पीठ के जज अवाचट ने भी शिकायतकर्ता, एक वकील, जिसने जयपुर में शिकायत दर्ज कराई थी, से याचिका का जवाब देने को कहा. मामले को 4 सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया था.
क्या था मामला
साल 2007 अप्रैल में शिल्पा शेट्टी एड्स को लेकर जागरूकता अभियान में शामिल हुई थीं. एक्ट्रेस के साथ स्टेज पर हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे भी मौजूद थें. तभी हॉलीवुड स्टार ने उनसे हाथ मिलाया, गले लगाया और फिर किस किया. इस घटना पर खूब बवाल मचा था. जयपुर, अलवर और गाजियाबाद में शिल्पा शेट्टी के खिलाफ FIR भी दर्ज हुए थे.
Also Read
- अजान के लिए लगे लाउडस्पीकर हटाने का मामला पहुंचा Bombay HC, पांच मस्जिदों की कमेटी ने अदालत में किया ये दावा? महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब
- रेप पीड़िता का ये अधिकार, इसमें किसी की मनमर्जी नहीं चलेगी.. अर्बाशन से जुड़े मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी
- Rajkumar Rao की फिल्म 'भूल चूक माफ' अभी OTT पर नहीं होगी रिलीज, इस वजह से Bombay HC ने लगाया रोक
इन धाराओं के तहत हुईं थी दर्ज शिकायत
इस मामले में शिल्पा के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गईं थीं.
अभिनेत्री पर भारतीय दंड संहिता की धारा 292, 293, 294 (अश्लीलता) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी( Information Technology )और महिलाओं के अश्लील प्रतिनिधित्व( Indecent Representation of Wome,Prohibition ACT) (निषेध) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.
शिल्पा का दावा
सुनवाई के दौरान, शिल्पा के वकील मधुकर दलवी ने कहा कि 2007 की उस घटना का वीडियो देखने पर, कहीं से भी नहीं लगता कि शिल्पा का कोई अश्लील हरकत करने का इरादा था.
"आयोजित हुए कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ धर्मार्थ(charitable) था और समाज को एड्स(AIDS is a chronic immune system disease) जैसे खतरनाक वायरस के प्रति लोगों तो केवल जागरूक करना था. कुछ लोगों ने नाम कमाने के लिए इस घटना को आधार बनाकर इसे गलत बनाने की कोशिश की है.
कोर्ट ने क्या कहा
न्यायमूर्ति अवाचट ने प्रतिवादियों (Defendants) को नोटिस जारी करने और उनका जवाब मांगने का फैसला किया है. महाराष्ट्र सरकार के अलावा अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी, जो जयपुर में मामले की शिकायतकर्ता थीं, उनको भी चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करना होगा.
न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने की गई थी शिकायत दर्ज
2007 में हुए इस घटना को लेकर राजस्थान के मुंडावर में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने शेट्टी और गेरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी. जिसकी अनुमति न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दी थी.
मामले को किया गया था मुंबई स्थानांतरित
साल 2011 में शिल्पा शेट्टी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी कि तीनों मामलों को एक साथ मुंबई ट्रांसफर कर दिया जाए. 2017 में इनमें से दो कम्प्लेंट मुंबई में ट्रांसफर हो गई थीं. दो कम्प्लेंट में से एक में तो शिल्पा को राहत मिली थी, लेकिन दूसरी में कोर्ट ने इनकार कर दिया था, यह कहकर कि यह ट्रायल केस है. इसमें राहत मिलने की कोई गुंजाइश नहीं है. ऐसे में शिल्पा शेट्टी ने हाई कोर्ट में इस एफआईआर को रद्द करने की अपील की थी. जिसके बाद शिकायत और स्थानांतरण मामले की सुनवाई मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने बल्लार्ड पियर, मुंबई में की.बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसी मैटर पर अब महाराष्ट्र सरकार और रेस्पोंडेंट से जवाब मांगा है.
इन धाराओं को खारिज करने की मांग
शिल्पा की ओर से दो आवेदन दायर किए गए. पहला भारतीय दंड संहिता की धारा 239 (पुलिस रिपोर्ट और दस्तावेजों पर विचार करने के बाद आरोपमुक्ति) और दूसरा धारा 245 (साक्ष्य पर विचार करने के बाद आरोप मुक्त) के तहत आरोपमुक्त करने की मांग की गई थी.
आवेदन खारिज
मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ये धारा 239 के तहत डिस्चार्ज करने की अनुमति दे दी, लेकिन धारा 245 के तहत आवेदन को खारिज कर दिया गया क्योंकि सम्मन विचारणीय(summons triable case) मामले में डिस्चार्ज का कोई प्रावधान नहीं था.
हाई कोर्ट में शेट्टी की याचिका में सीआरपीसी की धारा 245 के तहत आवेदन खारिज होने को चुनौती दी गई है.