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11 वर्षीय बच्ची को 30 सप्ताह का गर्भपात कराने की इजाजत, यौन उत्पीड़न के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

बाॉम्बे हाईकोर्ट और प्रेग्नेंट वर्किंग वुमेन ( सांकेतिक चित्र)

अदालत ने कहा कि वह संविधान के तहत, गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम में निर्धारित आकस्मिक परिस्थितियों में 20 सप्ताह की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दे सकती है.

Written By My Lord Team | Published : November 1, 2024 4:07 PM IST

कभी-कभी अदालत के सामने ऐसे मामले आते हैं जो भावनात्मक रूप से झकझोर देने के साथ कठोर फैसला लेने पर भी मजबूर करते हैं. ऐसा ही एक मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने आया, जिसमें ग्यारह साल की बच्ची के साथ अज्ञात लोगों ने दुष्कर्म किया, इस बात का उजागर होता उससे पहले पीड़िता 30 सप्ताह की गर्भ धारण (Termination of Pregnancy) कर चुकी थी. लड़की के पिता ने मामला दर्ज कराते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) से गर्भपात कराने की अनुमति मांगी. आइये जानते हैं कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में क्या कुछ कहा...

11 वर्षीय बच्ची के 30 सप्ताह का गर्भ होगा समाप्त

बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस शर्मिला देशमुख और जस्टिस जितेंद्र जैन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि बृहस्पतिवार को ही यहां सरकारी जे.जे. अस्पताल में गर्भपात की प्रक्रिया की जाएगी. लड़की ने गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति मांगने के लिए अपने पिता के माध्यम से उच्च न्यायालय का रुख किया था. हाईकोर्ट ने पिता की याचिका पर विचार करते हुए 29 अक्टूबर को मेडिकल बोर्ड से लड़की की जांच करने व रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था.

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अदालत ने कहा कि वह संविधान के तहत, गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम में निर्धारित आकस्मिक परिस्थितियों में 20 सप्ताह की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दे सकती है. बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम के अनुसार, 20 सप्ताह से अधिक गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य होती है.

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अदालत ने कहा,

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याचिकाकर्ता एक नाबालिग लड़की है जो यौन उत्पीड़न की शिकार है. इसलिए, याचिकाकर्ता को गर्भावस्था की मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति दी जाती है.’’

हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यदि बच्चा जीवित पैदा होता है, तो सभी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और यदि माता-पिता जिम्मेदारी नहीं लेते, तो राज्य सरकार बच्चे की पूरी जिम्मेदारी लेगी. फिर भी रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने गर्भपात समाप्त करने की इजाजत दे दी है.

क्या है मामला?

याचिका के अनुसार, लड़की यौन उत्पीड़न की शिकार है और भारतीय न्याय संहिता (BNS) तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

(खबर PTI इनपुट के आधार पर लिखी गई है)