Sex Scandal Case: प्रज्वल रेवन्ना का पोटेंसी टेस्ट करवाएगी SIT, जानिए पोटेंसी टेस्ट क्या होती है और किन मामलों में कराई जाती है?
Prajwal Revanna Sex Scandal Case: यौन शोषण केस में आरोपी हासन लोकसभा सीट से एमपी प्रज्वल रेवन्ना को पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश किया है. अदालत ने प्रज्वल रेवन्ना को छह जून तक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) की हिरासत में भेजा है. अब SIT प्रज्वल रेवन्ना का पोटेंसी टेस्ट करवाने को लेकर विचार कर रही हैं. पुंसत्व जांच (पोटेंसी टेस्ट) यौन शोषण, तलाक के मामले और पितृत्व की जांच के विवादों में कराई जाती है. टेस्ट पुरूष का पुसंत्व बरकरार है या नहीं! ये देखने के लिए कराई जाती है.
पोटेंसी टेस्ट क्या होता है?
पोटेंसी टेस्ट पुरूष के पुंस्तव ( a man is capable of penile erection or not) की जांच करती है. सामान्यत: ये जांच यौन शोषण, तलाक और पितृत्व से जुड़े मामले में कराई जाती है.
तलाक मामलों में: तलाक मामलो में पोटेंसी जांच यह बताती है कि व्यक्ति वैवाहिक संबंधों को सक्षम है या नहीं.
Also Read
- क्या डीएनए सबूत ने दिलाई प्रज्वल रेवन्ना को उम्रकैद की सजा? बेंगलुरु कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा, देखें मामले की पूरी टाइमलाइन
- Sex Scandal Case: SIT ने बलात्कार मामले में प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ किया 2144 पन्नों का चार्जशीट दायर
- Electoral Bond: कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को करेगी सुनवाई
पितृत्व से जुड़े मामले: ऐसे मामलों में पोटेंसी टेस्ट यह जांच करने में मददगार साबित होती है कि कोई व्यक्ति बच्चे का बायोलॉजिकल पिता है या नही?
यौन शोषण के मामले: यौन शोषण के मामले में, पोटेंसी टेस्ट के माध्यम से व्यक्ति के पुसंत्व की जांच होती है. व्यक्ति का पुसंत्व मनौवैज्ञानिक और शारीरिक पहलुओं पर निर्भर करता है, इसलिए यौन शोषण के मामलों में ठोस सबूत के तौर पर नहीं देखा जाता है.
सीआरपीसी सेक्शन 53 क्या कहती है?
कोड ऑफ क्रिमिनस प्रोसीजर, 1973 के सेक्शन 53 के अनुसार, यौन शोषण मामले के आरोपी की मेडिकल जांच कराने की जिक्र है. नियम के मुताबिक, आरोपी की जांच रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिसनर से करानी होती है. इस जांच के लिए आरोपी के ब्लड, पसीने, केस के बाल, सीमेन आदि लिए जा सकते हैं.
यौन शोषण के केस में पोटेंसी टेस्ट!
बहस के दौरान, प्रतिवादी पक्ष पोटेंसी टेस्ट के माध्यम से यह साबित कर सकता है कि शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम नहीं है. हालांकि, इसे मजबूत एविंडेंस के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. यौन शोषण के मामले में पीड़िता का बयान ही सबसे महत्वपूर्ण और ठोस सबूत माना जाता है.