CRPC की धारा 64 में होगा बदलाव करती है महिलाओं के साथ भेदभाव, सरकार ने SC में दी जानकारी
नई दिल्ली: केन्द्र सरकार शीघ्र देश के IPC और CRPC कानूनों में बड़ा बदलाव करने जा रही है.
आगामी मानसून सत्र में सरकार इसे लेकर संशोधन बिल पेश कर सकती है. जिसके जरिए सरकार IPC और CRPC के ही कई गैर जरूरी प्रावधानों में संशोधन किया जायेगा.
सरकार का हलफनामा
Supreme Court में CRPC की धारा 64 को लेकर दायर कुश कालरा की PIL की सुनवाई के दौरान जवाबी हलफनामे में केन्द्र सरकार ने यह जानकारी दी है.
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कुश कालरा बनाम भारत सरकार मामले में CJI की पीठ ने केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का आदेश दिया था. CJI डी वाई चंद्रचूड़ और Justice जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जवाब पेश करते हुए हलफनामा दायर किया है.
इसी हलफनामें में Supreme Court को जानकारी देते हुए बताया गया है कि सरकार IPC और CRPC में बदलाव पर विचार कर रही है. इस बदलाव के संबंध में विधि और न्यायशास्त्र के विशेषज्ञों से सलाह मशविरा भी कर रही है.
धारा 64 करती है भेदभाव
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में कुश कालरा की ओर से दायर जनहित याचिका CRPC की धारा 64 को चुनौती दी गई है.
याचिका में कहा गया है कि CRPC की धारा 64 अदालत द्वारा जारी किए गए किसी समन की तामील के सिलसिले में किसी महिला को समन स्वीकार करने से रोकती है.
याचिका में कहा गया कि इस तरह से यह धारा महिला के साथ भेदभाव करता है यानी यानी जिसके नाम समन आया हो उसके परिवार की कोई भी महिला उसे स्वीकार नहीं कर सकती.
संसद सत्र में पेश हो सकता बिल
मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने इस मामले पर संसद सत्र के बाद सुनवाई करने का अनुरोध किया.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार सी IPC और CRPC के ही कई गैर जरूरी प्रावधानों में संशोधन पर सक्रियता से विचार कर रही है.इसलिए इस याचिका को संसद सत्र के बाद सुनवाई की जाए.
CJI की पीठ ने सरकार के इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए याचिका पर जुलाई के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करना स्वीकार किया है.