Article 370 रद्द करने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर Supreme Court करेगा सुनवाई
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट शीघ्र सुनवाई को तैयार हो गया है. शुक्रवार को सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ के समक्ष इस मामले को मेंशन करने पर सीजेआई ने कहा कि वे इस मामले पर सुनवाई करेंगे और फैसला भी करेंगे.
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य दर्जा समाप्त किया था. इसके साथ ही जम्मू और कश्मीर और लद्दाख को दो अगल अलग केन्द्र शाषित प्रदेशों में विभक्त किया गया था.
जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष प्रावधान को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाए दायर हुई.
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सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2020 को सुनवाई करते हुए 7 जजों की लार्जर बैंच को भेजने से इनकार कर दिया था.
राजू रामचंद्रन ने किया मेंशन
शुक्रवार को इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने सीजेआई की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध किया. सीजेआई चन्द्रचूड़ से पूर्व पिछले साल 25 अप्रैल और 23 सितंबर को 2022 को भी तत्कालीन सीजेआई जस्टिस एन वी रमन्ना की पीठ ने भी इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत दी थी, लेकिन सुनवाई नहीं हो पायी.
शुक्रवार को सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ के समक्ष मेंशन करने पर सीजेआई ने शीघ्र सुनवाई के लिए सहमति देते हुए कहा मैं इस पर फैसला करूंगा’’
फिर से करना होगा पीठ का गठन
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने वर्ष 2019 में इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पूर्व जस्टिस एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ को मामला भेजा था. 5 सदस्य इस संविधान पीठ में पूर्व सीजेआई एन वी रमन्ना के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुभाष रेड्डी शामिल थे.
इस 5 संविधान पीठ के 2 सदस्य पूर्व सीजेआई रमन्ना और जस्टिस सुभाष रेड्डी सेवानिवृत हो चुके है. ऐसे में इन याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सीजेआई को नए सिरे से पीठ का गठन करना होगा.
20 से अधिक याचिकाए
संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 20 से अधिक याचिकाए दायर की गई थी. मार्च 2020 में, सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्य संविधान पीठ ने कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा मामले को 7 जजों की लार्जर बेंच को भेजने से इनकार कर दिया था.
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के प्रेम नाथ कौल और संपत प्रकाश के दो फैसलो में विरोधाभाषी व्याख्या के चलते लार्जर बैंच को भेजने का अनुरोध किया था.
केन्द्र को फैसलो को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अब सुनवाई करेगा.