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मेट्रो के लिए आरे में अधिक पेड़ काटने पर मुंबई मेट्रो को SC की फटकार, लगायी 10 लाख की कोस्ट

Supreme Court ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कोर्ट का आदेश का उल्लंघन करते हुए उद्यान एवं वृक्ष अधिकारी के अधीक्षक ने 177 पेड़ों को काटने की अनुमति दी.

Written By Nizam Kantaliya | Published : April 17, 2023 6:10 PM IST

नई दिल्ली:महाराष्ट्र के आरे में मुंबई मेट्रो रेल परियोजना के लिए निर्धारित सीमा से अधिक 84 पेड़ काटने के प्रयास के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) को फटकार लगाई है.

CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को उसके व्यवहार के लिए दंडित करते हुए मुख्य वन संरक्षक के पास 10 लाख रुपये जमा करने का आदेश दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने यह हर्जाना एमएमआरसीएल द्वारा 84 के बजाय 185 पेड़ गिराने की अनुमति मांगने के बाद पारित किया है.

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आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए विधि छात्र रिशव रंजन ने 2019 में तत्कालीन सीजेआई को एक पत्र लिखा था, जिस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुरू की थी.

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अदालत की अवमानना कर रहे है

पीठ ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कोर्ट का आदेश का उल्लंघन करते हुए उद्यान एवं वृक्ष अधिकारी के अधीक्षक ने 177 पेड़ों को काटने की अनुमति दी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त ऐतराज जताते हुए यहां तक कहा कि एमएमआरसीएल के अधिकारी को भी जेल भेजा जाना चाहिए और एमएमआरसीएल के सीईओ को अदालत में पेश होने के कहे.

अदालत ने आगे टिप्पणी की कि एमएमआरसीएल और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) दोनों ही अदालत की अवमानना कर रहे हैं.

SG तुषार मेहता ने किया बचाव

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल SG तुषार मेहता ने एमएमआरसीएल का बचाव करते हुए कहा कि अधिकारियों की ओर से कमी होने के बावजूद उनका ईरादा अदालत को ओवरराइड करने का नहीं था.

एसजी ने कोस्ट लगाने के निर्देश पर पुर्नविचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि 3,000 पेड़ों के पुनर्वसन का निर्देश दिया जा सकता है.

हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने एसजी के सुझाव का विरोध करते हुए कहा कि अधिकारियों ने अदालत के साथ धोखाधड़ी की है.

सुप्रीम कोर्ट में आरे क्षेत्र में मुंबई मेट्रो रेल परियोजना के तहत मेट्रो कार शेड के निर्माण के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो मुंबई के प्रमुख हरित क्षेत्रों में से एक है.

7 अक्टूबर, 2019 को, कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य को आरे में कोई और पेड़ नहीं काटने और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.

इसके बाद भी नवंबर 2022 में, अदालत ने MMRCL को फरवरी 2019 के अपने आवेदन को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी, जिसमें 84 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी, क्योंकि यह शंटिंग साइट/रैंप के लिए आवश्यक था.

दो सप्ताह में जमा कराए 10 लाख का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने एमएमआरसीएल दो सप्ताह के भीतर वन संरक्षक को 10 लाख रुपए बतौर जुर्माना जमा कराने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राशि मुख्य वन संरक्षक को जमा की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई मेट्रो को 15 मार्च, 2023 के वृक्ष प्राधिकरण के फैसले का पालन करने के लिए भी कहा और कार शेड विकसित करने के लिए आरे जंगल से 177 पेड़ गिराए.

सुप्रीम कोर्ट ने IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) बॉम्बे के निर्देशक को यह सत्यापित करने के लिए एक दल तैनात करने का भी निर्देश देते हैं कि दी गई व्यवस्था का पालन किया गया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए है. पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि "एमएमआरसीएल मुख्य वन संरक्षक को 10 लाख जमा करेगा और संरक्षक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निर्देशानुसार सभी वनीकरण का कार्य हो गया है.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य वन संरक्षक यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए है कि पेड़ लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशो का पालन किया जाए.