SC Collegium-राजस्थान हाईकोर्ट के लिए 8 नए जजों की नियुक्ति की सिफारिश
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राजस्थान हाईकोर्ट के लिए 8 नए जजों की नियुक्ति सिफारिश केन्द्र सरकार को भेजी हैं. कॉलेजियम द्वारा भेजी गयी सिफारिश में 2 वकील और 6 न्यायिक अधिकारियों के नाम शामिल हैं.
16 में से 8 नाम की सिफारिश
राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता में ने 10 फरवरी 2022 को हाईकोर्ट से कुल 16 नाम सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजे गए थे. जिनमें 8 अधिवक्ता और 8 न्यायिक अधिकारियों के नाम शामिल थे.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा गुरुवार देर शाम जारी किए स्टेटमेंट के अनुसार 23 नवंबर 2022 को हुई बैठक में 8 नाम को भेजने पर कॉलेजियम सहमत हुआ. सूत्रों के अनुसार केन्द्र द्वारा अधिवक्ता कोटे के कुछ अधिवक्ताओं की आईबी पेंडिंग रखे जाने के चलते फिलहाल अन्य नाम पेंडिंग रखे गए हैं.
Also Read
- बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन करने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; RJD, TMC सहित इन लोगों ने दायर की याचिका, अगली सुनवाई 10 जुलाई को
- BCCI को नहीं, ललित मोदी को ही भरना पड़ेगा 10.65 करोड़ का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले में दखल देने से किया इंकार
- अरूणाचल प्रदेश की ओर से भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाकर देने के फैसले पर लगाई रोक, केन्द्र की याचिका पर जारी किया नोटिस
कॉलेजियम द्वारा की गयी सिफारिशों में एडवोकेट कोटे से अनिल कुमार उपमन, एडवोकेट नूपुर भाटी और न्यायिक अधिकारी कोटे से जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेंद्र प्रकाश सोनी, अशोक कुमार जैन, योगेंद्र कुमार पुरोहित, भुवन गोयल, प्रवीर भटनागर और डीजे आशुतोष कुमार का नाम शामिल हैं.
पति-पत्नी जज की दूसरी जोड़ी
एडवोकेट नूपुर भाटी की सिफारिश को केंद्र द्वारा मंजूरी दिए जाने पर राजस्थान हाईकोर्ट देश की ऐसी पहली हाईकोर्ट होगी, जहां पर पति- पत्नी दोनों जज होंगे और ये दूसरा मौका होगा.
एडवोकेट नूपुर भाटी के पति जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी भी राजस्थान हाईकोर्ट में कार्यरत जज हैं. नुपूर भाटी के नाम को मंजूरी मिलने पर राजस्थान हाईकोर्ट में ये दूसरी बार होगी जब पति पत्नी की जोड़ी जज बनेगी.
राजस्थान हाईकोर्ट वर्तमान में स्वीकृत जजों के 50 पदों पर 26 जजों के साथ कार्य कर रहा हैं. केन्द्र द्वारा इन 8 नाम की सिफारिश को मंजूरी दिए जाने पर कार्यरत जजों की संख्या 34 हो जाएगी.
सरकार और जस्टिस कुरैशी
राजस्थान हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पदों को भरने के लिए पूर्व चीफ जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता में 10 और 11 फरवरी 2022 को हाई कोर्ट कॉलेजियम ने 16 नए नाम की सिफारिश की थी.
राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अकील कुरैशी द्वारा भेजे गये नाम पर केंद्र पहले ही अपनी असहमति जता चुका था. राजस्थान हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा भेजे गये अधिवक्ताओं के 8 नाम को लेकर कानून मंत्रालय ने एकबारगी तो इनमें से कोई नहीं तक का भी टैग लगा दिया था. लेकिन कॉलेजियम द्वारा मंत्रालय के पत्र को दरकिनार करने के बाद फिर से राजस्थान की फाइल को कॉलेजियम के समक्ष भेजा गया.
जस्टिस कुरैशी द्वारा भेजे गए नाम को लेकर सरकार को यहां तक ऐतराज था कि कॉलेजियम को जवाब देने के लिए कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राजस्थान के ही उदयपुर शहर को चुना. जहां उन्होंने कॉलेजियम पर हमलावर रुख की शुरुआत करते हुए कहा था कि राजस्थान में जजो की नियुक्ति में होने वाली देरी के लिए सरकार नही, बल्कि सिस्टम जिम्मेदार हैं.
पूर्व सीजेआई रमन्ना से लेकर सीजेआई चन्द्रचूड़ तक
राजस्थान में जजो की नियुक्ति का मामला पहली बार जस्टिस एन वी रमन्ना के समय सामने आया था,पूर्व सीजेआई एन वी रमन्ना की अध्यक्षता में 25 जुलाई को उनके कार्यकाल में कॉलेजियम की अंतिम बैठक हुई थी. इस बैठक के एक दिन बाद 26 जुलाई को ही केंद्र की ओर सुप्रीम कोर्ट को तीन आपत्तियों के साथ पत्र व्यवहार किया गया था.
केन्द्र की ओर से भेजे गये पत्र पर 27 जुलाई को पहली बार कॉलेजियम विचार करने पर सहमत हुआ, लेकिन कुछ कारणों से इसे 4 अगस्त के लिए रेफर किया गया. 4 अगस्त को हुई बैठक में कॉलेजियम के एक सदस्य इसे भविष्य के लिए छोड़ने पर ठहर गए. जिसके बाद इस पत्र पर कोई चर्चा नहीं हुई.
7 सितंबर को तत्कालिन सीजेआई जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में हुए कॉलेजियम ने इस पत्र पर विचार किया. जिसके बाद केन्द्र को इस मामले में कुछ हद तक सफलता मिली हैं की कॉलेजियम ने केंद्र को वे नाम भेजने के लिए कहे हैं जिनकी आईबी व इनपुट पूर्ण हो चुके हैं.
सीजेआई ललित के कार्यकाल में ही राजस्थान की फाइल पर चर्चा के लिए सितंबर के अंतिम सप्ताह में एक बार फिर ये फाइल कॉलेजियम के समक्ष भेजी गयी. लेकिन सर्वोच्च अदालत में जजो की नियुक्ति की प्राथमिकता के सामने राजस्थान अपनी जगह नहीं बना पाया.
सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ के आने के बाद राजस्थान में जजों की नियुक्ति का मामला सबसे पहले पायदान पर था.क्योंकि इस फाइल को 9 माह से अधिक समय हो चुका था.