Electoral Bonds: डोनर्स की जानकारी देने के लिए SBI ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी 30 जून तक की मोहलत
5 मार्च, 2024 के दिन SBI ने आवेदन दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से 30 जून तक की मोहलत की मांग की है. SBI ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स (Electoral Bonds) से जुड़ी जानकारी का मिलान करने, डोनर्स की सूची (Donor's List) बनाने में समय लगेगा. डेडलाइन 6 मार्च, 2024 थी. उससे पहले ही SBI ने अपनी परेशानी बताते हुए तय मोहलत (Extension of Deadline) को आगे बढ़ाने की मांग की है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पॉलिसी को खारिज कर दिया है. वहीं, इसके अंतर्गत पॉलिटिकल पार्टी (Political party) को मिले बेनामी चंदे की सूची चुनाव आयोग को सौंपने का आदेश दिया था.
SBI ने दिये ये कारण
एजवोकेट संजय कपूर ने SBI की ओर से आवेदन दिया. संजय कपूर ने कहा कि कुछ व्यहारिक चुनौतियों की वजह से SBI ने ये मांग की है.
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एडवोकेट ने कहा,
“ इलेक्टोरल बॉन्ड में डोनर्स की पहचान छिपाने के लिए कड़े उपाय किए गए थे. ऐसे में चुनावी बांड की डिकोडिंग’ और डोनर का दान से मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया है... अब तक की गई इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीददारी का विवरण SBI के विभिन्न शाखाओं में ही है जिसे किसी एक स्थान पर, यानि मुख्य इकाई में पहले से नहीं रखा गया है…दो अलग-अलग साइलो में रिकॉर्ड रखा गया है...ये डोनर्स की गुमनामी बनाए रखने के लिए किया गया है.”
SBI दें Electoral Bonds की जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को 6 मार्च तक देने का आदेश दिया है. SBI को 12 अप्रैल, 2019 से अब तक की खरीद की सभी जानकारी चुनाव आयोग को देनी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आगे से किसी इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पर भी रोक लगाया है. वहीं, इलेक्शन कमीशन को SBI से मिली जानकारी को एक हफ्ते के भीतर अपने वेबसाइट पर जारी करने के निर्देश दिए गए थे.
क्या है मामला?
पांच जजों की बेंच ने पिछले महीने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े मामलें की सुनवाई की. इस बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड की पॉलिसी को खारिज किया है. बेंच ने कहा कि देश के लोगों को ये जानने का हक है कि राजनीति पार्टी को कौन-कौन चंदे दे रहा है. इस दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड से केवल सत्ताधारी पार्टी को ही फायदा मिलने की बात भी कही गई.