Hindu Marriage Act के तहत शादी के लिए सात फेरे लेना आवश्यक, इलाहाबाद HC की टिप्पणी
Divorce Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट (Hindu Marriage Act), 1955 के तहत शादी के लिए सप्तपदी आवश्यक है. सप्तपदी एक अनुष्ठान है जहां हिंदू विवाह समारोह के दौरान दूल्हा और दुल्हन एक साथ पवित्र अग्नि (हवन) के चारों ओर सात फेरे लेते हैं. इसके साथ ही अदालत ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 के तहत द्विविवाह के अपराध के लिए एक महिला के खिलाफ दर्ज केस को रद्द किया.
जस्टिस संजय कुमार सिंह ने कहा,
"महिला ने किसी दूसरे आदमी के साथ सात फेरे लिए हैं, इससे जुड़े ठोस सबूत उपलब्ध नहीं है."
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क्या था पूरा मामला?
जोड़े ने साल 2017 में शादी की थी. हालांकि शादी के कुछ समय बाद ही दोनों अलग हो गए. महिला ने दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपने ससुराल वालों के खिलाफ FIR दर्ज कराई. इसके बाद उनके पति और उनके परिवार के खिलाफ चार्जशीट दायर किया गया. 2021 में, पति ने महिला के खिलाफ शिकायत की. पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने तलाक के बिना दूसरी शादी कर ली है. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने समन जारी किया. इसे रद्द करने की मांग करते हुए पत्नी ने हाईकोर्ट का रुख किया. महिला का कहना था कि पति के आरोप निराधार हैं.
सबूतों की जांच करने के बाद अदालत ने कहा कि कथित दूसरी शादी को संपन्न करने के लिए समारोह पूरे किए जाने का कोई सबूत नहीं है. वैध हिंदू विवाह के लिए आवश्यक समारोह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 7 में शामिल हैं: (1) एक हिंदू विवाह किसी भी पक्ष के पारंपरिक संस्कारों और समारोहों के अनुसार संपन्न किया जा सकता है (2) जहां ऐसे संस्कारों और समारोहों में सप्तपदी शामिल है, यानी सात फेरे लेने पर विवाह पूर्ण होता है.
महिला की दूसरी शादी के संबंध में कोर्ट ने कहा कि जब तक विवाह उचित समारोहों और उचित तरीके से संपन्न नहीं किया जाता है, तब तक इसे 'solemnised' नहीं कहा जा सकता है. इसे वैध विवाह नहीं कहा जा सकता.