Sandeshkhali Violence: Supreme Court ने लोकसभा विशेषाधिकार समिति की जांच पर लगाई रोक, जानें क्या था पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (19 फरवरी 2024) को लोकसभा विशेषाधिकार समिति ( Lok Sabha Privilege Committee) की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. यह समिति पश्चिम बंगाल (West Bengal) राज्य के मुख्य सचिव (Chief Secretary), डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) और तीन अन्य अधिकारियों से पूछताछ करनेवाली थी. ये पूछताछ संदेशखाली हिंसा (Sandeshkhali Voilence) में इन अधिकारियों की भूमिका से जुड़ी हुई थी. लोकसभा में बीजेपी सांसद सुकंता मजूमदार (BJP MP Sukanta Majumdar) ने शिकायत की जिसके बाद इस समिति ने अपनी कार्रवाई शुरू की.
क्या है मामला?
बीजेपी एमपी सुकंता मजूमदार (BJP MP Sukanta Majumdar) ने लोकसभा में शिकायत दर्ज कराया. शिकायत में संदेशखाली हिंसा के दौरान हुए दुर्व्यवहार का आरोप लगाया. शिकायत के आधार पर लोकसभा विशेषाधिकार समिति ने पश्चिम बंगाल राज्य के अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी की. नोटिस में आज सुबह 10:30 बजे सुनवाई होनी थी. लोकसभा में पेश होनेवाले अधिकारियों ने इस सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
CJI ने अधिकारियों को दी राहत
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने अधिकारियों को अंतरिम राहत देते हुए लोकसभा विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही पर रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट में यह रिट याचिका पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव IAS भगवती प्रसाद गोपालिका, राज्य पुलिस के मुखिया (DG) आईपीएस राजीव कुमार, नार्थ 24 परगना जिला के DM आईएएस शरद कुमार द्विवेदी, जिला के एसपी आईपीएस डॉ. हुसैन मेहेदी रहमान और जिले के एडिशनल एसपी पार्थ घोष ने दायर की.
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याचिकाकर्ता ने ये दिये तर्क
अधिकारियों की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. उन्होंने कोर्ट से मामले में जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की. कारण बताते हुए कहा कि इन अधिकारियों को 10:30 बजे के करीब लोकसभा सचिवालय में विशेषाधिकार समिति के समक्ष पेश होना है.
याचिकाकर्ता ने कहा, संदेशखाली में धारा 144 (कर्फ्यू) लगा लागू था. बीजेपी एमपी अपने साथियों के साथ कर्फ्यू का उल्लंघन कर जमा हो गए. याचिकाकर्ता ने कहा कि बीजेपी एमपी के आरोप भी झूठे हैं, पुलिस ने उनपर नहीं, उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर हमला किया था.
MP के विशेषाधिकार
सुनवाई के दौरान सीनियर वकील ने कहा कि एमपी के विशेषाधिकार संसदीय कार्यों के दैरान लागू होते हैं. उनके ये अधिकार राजनीतिक गतिविधियों के लिए नहीं होते हैं. CJI ने प्रत्युत्तर में कहा कि ये विशेषाधिकार का उल्लंघन (Breach of Privileges) है क्योंकि एमपी इस दौरान घायल हुए थे. सिंघवी ने कोर्ट को सूचित करते हुए कहा कि बीजेपी एमपी खुद ही पुलिस की गाड़ी के बोनेट पर कूदे थे. उनके साथियों ने वापस खींचा. इस खींचातानी में उन्हें चोट आई. वहीं पुलिस उन्हें इलाज के लिए अस्पताल भी ले गई थी.
पूछताछ के लिए थी Notice
लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि बंगाल राज्य के इन अधिकारियों को आरोपी’ के तौर पर नहीं बुलाया गया है. इन अधिकारियों को हिंसा से जुड़े तथ्यों और सबूतों की जांच के लिए बुलाया गया है.
BJP MP को आई चोटें
बीजेपी एमपी सुकंता मजूमदार ने शिकायत की. शिकायत में एमपी ने आरोप लगाया कि राज्य पुलिस ने उसपर लाठी-चार्ज किया, उसे काफी चोटें आई लेकिन पुलिस ने मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं कराई.