दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा की जानकारी RTI Act के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: Delhi HC
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि विशेष शाखा नियमावली का विवरण सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें संवेदनशील और गोपनीय जानकारी होती है (Delhi HC Denies RTI Request for Special Branch Guidelines). अदालत ने कहा कि इस तरह की जानकारी का खुलासा करने से न केवल दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के कामकाज से समझौता होगा, बल्कि जारी और भविष्य की जांच भी खतरे में पड़ सकती है. इसने कहा कि संबंधित मामला आरटीआई अधिनियम के तहत छूट वाली श्रेणी’ के दायरे में आता है.
RTI Act से विशेष शाखा नियमावली को विशेष छूट
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव नरूला ने 3 फरवरी, 2016 को पासपोर्ट सत्यापन पर सभी संलग्नको के साथ संपूर्ण विशेष शाखा नियमावली की प्रमाणित प्रति आरटीआई के तहत उपलब्ध कराने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि अदालत की राय में, विशेष शाखा नियमावली का विवरण गोपनीय प्रकृति के कारण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.
अदालत ने कहा,
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ऐसी जानकारी का खुलासा न केवल विशेष शाखा के कामकाज से समझौता होगा, बल्कि जारी जांच और भविष्य की जांच को भी खतरे में डाल सकता है. इस प्रकार, आरटीआई अधिनियम के तहत इस मामले को छूट वाली’ श्रेणी में मानने का सीआईसी का निर्णय उचित है.’’
उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने याचिकाकर्ता की मांग खारिज की है.
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता हरकिशन दास निझावन ने 2016 के अपने आरटीआई आवेदन में विशेष शाखा से कई चीजों के बारे में जानकारी मांगी. इसमें नियमावली की प्रमाणित प्रति की मांग भी शामिल थी जो पासपोर्ट सत्यापन के लिए प्रक्रियात्मक मानदंडों की रूपरेखा बताती है. अन्य सभी प्रश्नों का उत्तर दे दिया गया, लेकिन अधिकारियों ने आरटीआई अधिनियम के तहत छूट की बात कहकर विशेष शाखा नियमावली की प्रति प्रदान करने से इनकार कर दिया.
इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपील अधिकारियों के समक्ष शिकायत की और जवाब न मिलने पर केंद्रीय सूचना आयोग (CEC) का रुख किया. जब सीआईसी ने भी मामले को छूट की श्रेणी’ वाला मामला करार दिया तो याचिकाकर्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की.
आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के तहत अधिकारियों को ऐसी जानकारी देने से छूट दी गई है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, देश की सुरक्षा, या देश के रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.
अब दिल्ली हाईकोर्ट ने भी विशेष शाखा नियमावली देने की मांग से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है.