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Rs 300-cr, दो देशों के बीच 70 साल चला केस और UK High Court का फैसला- पूरी कहानी

India और Pakistan के बीच कई सारे विवाद चल रहे है. ऐसा ही एक विवाद हैदराबाद के निज़ाम की 300 करोड़ की सम्पत्ति को लेकर भी था. इस केस को लेकर London की अदालतों में 70 साल तक केस चले और अंत में फैसला भारत के पक्ष में आया. लेकिन कैसे निज़ाम का पैसा पाकिस्तान के पास गया और उसने कैसे धोखा दिया ये case बहुत रोचक है.

Written By My Lord Team | Published : April 11, 2023 12:00 PM IST

नई दिल्ली: आपने संपत्ति विवाद के कई मामले सुने होंगें. कभी भाइयों के बीच तो कभी व्यापारिक घरानों के बीच, लेकिन आज आपको एक ऐसे केस की कहानी बताएगें जिसके लेकिन दो देशों की सरकारों के बीच 70 साल तक विवाद रहा. ये कहानी है एक ऐसे केस कि जिसके केंद्र बिंदु में हैं एक निज़ाम और उनकी अरबों की सम्पत्ति. इसके मुख्य किरदार है निज़ाम, उसके वंशज और दो देशों की सरकारें.

जिन देशों की बात कर रहे हैं वो हैं भारत और पाकिस्तान और जिस निज़ाम की बात हो रही है वो हैं हैदाराबाद रियासत के सातवें और आख़िरी निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दीक़ी। अब पढ़िए इस विवाद की पूरी कहानी

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क्या था मामला

हाल ही में लंदन में UK High Court ने हैदराबाद के निज़ाम और भारत सरकार बनाम पाकिस्तान सरकार के बीच चल रह केस में फैसला सुनाया। ये मुकदमा संयुक्त भारत की हैदराबाद रियासत के सातवें और आख़िरी निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दीक़ी की 300 करोड़ से ज्यादा के धन को लेकर था. जो उस समय के एक पाकिस्तानी उच्चायुक्त के खाते में करीब 70 साल से जमा था.

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अब इस मामले में भारत और निज़ाम के वंशजों की जीत हुई है.लेकिन सवाल यह है कि इतना सारा पैसा पाकिस्तानी उच्चायुक्त के खाते में पहुंचा कैसे ? चलिए जानते है।

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पाकिस्तानी खाते में पैसा पहुंचने की कहानी

हम सभी 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते है, क्योंकि इस दिन ही भारत अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ था. लेकिन देश के कुछ ऐसे हिस्से थे जहां आज़ादी का सूरज नहीं ऊगा था. आज़ादी के वक़्त देश में कुल 565 रियासतें थी.हालाँकि इनमें से अधिकांश रियासतें भारत में विलय के लिए मान गई लेकिन पेंच फसा था बड़ी रियासतों में।

इनमें हैदराबाद भी एक बड़ी रियासत थी जहाँ निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दीक़ी का शासन था. उन्हें उस वक़्त दुनियां के सबसे अमीर व्यक्तियों में गिना जाता था. निज़ाम चाहते थे कि हैदराबाद को स्वतंत्र रखा जाए. लेकिन ये भारत की सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए बड़ा खतरा था। इसलिए सरदार पटेल के द्वारा हैदराबाद को भारत में मिलाने के लिए ऑपरेशन पोलो शुरू किया गया.

ऑपरेशन पोलो के दौरान साल 1948 में निज़ाम के वित्त मंत्री रहे नवाब मोइन नवाज़ जंग ने, 10 लाख पाउंड यानि क़रीब 89 करोड़ भारतीय रुपए ब्रिटेन में उस समय के पाकिस्तान के तत्कालीन उच्चायुक्त हबीब इब्राहिम रहमतुल्लाह के लंदन स्थित बैंक खाते में जमा करा दिए.

उनका कहना था कि ये रकम पाकिस्तान के उच्चायुक्त के खाते में इसलिए जमा करवाई गई थी ताकी इसे सुरक्षित रखा जा सके. ऑपरेशन पोलो अभियान सफल रहा और हैदराबाद का भारत में विलय हो गया. जैसे ही पैसे के बारे में निज़ाम को पता चला, उन्होंने पाकिस्तानी उच्चायुक्त से अपने पैसे मांगे लेकिन उच्चायुक्त ने पैसे देने से इनकार कर दिया.

निज़ाम कोर्ट पहुँच गए UK High court

निज़ाम के लिए केस लड़ रहे विदर्स वर्ल्डवाइड लॉ फर्म के पॉल हेविट्ट ने BBC से बात करते हुए बताया की जब निज़ाम को पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने पैसे देने से इंकार कर दिया तो उन्हौने UK के हाई कोर्ट का रुख किया . लेकिन UK हाई कोर्ट से निज़ाम को राहत नहीं मिली . इसके बाद उन्हौने हाउस ऑफ़ अपील का रुख किया.

हाउस ऑफ़ अपील में फैसला निज़ाम के हक़ में आ गया. लेकिन इसके बाद पाकिस्तान हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स पहुँच गया जो की UK का उच्चतम न्यायालय था.

हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में पाकिस्तान ने दलील दी कि पाकिस्तान एक संप्रभु राष्ट्र है और निज़ाम उस पर केस नहीं कर सकते. हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स ने पाकिस्तान की इस अपील को तो मान लिया, लेकिन रहमतुल्लाह के खाते में जमा इस पैसे को फ्रीज़ कर दिया। तबसे अभी तक नेटवेस्ट बैंक में रहमतुल्लाह के खाते में ये पैसा फ्रीज़ ही रहा.

2013 में पाकिस्तान ने किया Netwest Bank पर केस

साल 2013 में पाकिस्तान ने फिर पैसे पर दावा ठोक दिया. उसने नेशनल वेस्ट मिनिस्टर बैंक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी. इस वजह से बैंक को भी उन सभी पक्षों से बातचीत करनी पड़ी, जो इस पूरे केस में शामिल थे. इसमें न सिर्फ निज़ाम और पाकिस्तान बल्कि भारत सरकार भी पक्षकार बन चुकी थी.

ये मामला जो पिछले कुछ समय से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था, वो फिर जीवंत हो गया. इसके करीब 6 साल बाद, 2 अक्टूबर 2019 में इंग्लैंड की लंदन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के जज मार्कस स्मिथ ने फैसला सुनाया . जज स्मिथ ने पैसे पर पाकिस्तान के दावे को ठुकरा दिया . उन्हौने ये फैसला भारत सरकार और निज़ाम के हक़ में सुनाया.

जिस 89 करोड़ के लिए निज़ाम ने केस किया गया था वह राशि फैसला आने तक लगभग 309 करोड़ रूपये हो चुके था. इस मामले में भारत सरकार का पक्ष हरीश साल्वे रख रहे थे, जो पहले भी सरकार के लिए ICJ में कुलभूषण जाधव का केस लड़ चुके हैं.