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'पहचान हो जाने पर सड़ी मछली को...', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व जिला जज को सेवा में रखने से किया इंकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व जिला जज की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर एक बार सड़ी मछली की पहचान में हो जाए तो उसे टैंक में नहीं रखा जा सकता है.

Written By Satyam Kumar | Published : May 18, 2024 3:54 PM IST

Dismissal Of District Judge: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए सेवा से बर्खास्त हुए जिला जज को वापस सेवा में लेने से इंकार कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला जज की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर एक बार सड़ी मछली की पहचान हो जाए तो उसे टैंक में नहीं रखा जा सकता है. अदालत का आशय उस उक्ति है, जो कहता है- एक सड़ी मछली पूरे तालाब को सड़ा (गंदा) देती है. अदालत ने जिला जज पर लगे आरोपों को काफी संगीन बतातो हुए कहा कि न्यायपालिका में इन कृत्यों को थोड़ी सी भी जगह नहीं दी जा सकती है. जिला जज पर दहेज लेने के आरोप के साथ-साथ अपने केस में जूनियर जज को अपने पक्ष में फैसले सुनाने को लेकर प्रभावित करने का आरोप लगा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट में, जस्टिस सौमित्रा दयाल सिंह और जस्टिस डोनादी रमेश की डिवीजन बेंच ने सुना. बेंच ने जिला जज द्वारा अपने पक्ष में फैसला सुनाने के लिए जूनियर जज को प्रभावित करने की कोशिश को काफी गंभीर बताया है.

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बेंच ने कहा,

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"एक बार 'खराब मछली' की पहचान हो जाने पर, उसे 'टैंक' में नहीं रखा जा सकता है. न्यायिक सेवा में किसी जज द्वारा किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को इंफ्लुएंस करने की गुंजाइश नहीं हो सकती."

बेंच ने आगे कहा,

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"यदि न्याय का कोई मंदिर मौजूद है, तो न्यायिक अधिकारियों को उसकी पुजारी की तरह काम करना चाहिए, जिन्हें न केवल अपने कर्तव्यों के निर्वहन से जुड़े अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए, बल्कि उन्हें उत्साहपूर्वक मंदिर की पवित्रता की रक्षा भी करनी चाहिए."

क्या है विवाद?

इलाहाबाद हाईकोर्ट एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज उमेश कुमार सिरोही की उस याचिका को सुन रहा था जिसमें पूर्व जिला जज सिरोही ने अपने सेवा बर्खास्तगी को चुनौती दी थी.

पूर्व जज पर उनके भाई (एक जज ही है) की पत्नी ने दहेज मांगने को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. अदालत में सुनवाई हुई. इसी मामले में सिरोही पर मामले को सुन रही जज को इंफ्लुएंस करने का आरोप लगा.

विवाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष पहुंचा. फुल कोर्ट ने सिरोही को पद से हटाने का प्रस्ताव राज्य को भेजा. राज्य ने प्रस्ताव पर मुहर लगाई. उमेश कुमार सिरोही को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

पूर्व जज ने इसी फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है.