हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश करेंगे मणिपुर हिंसा की न्यायिक जांच
इंफाल (मणिपुर): मणिपुर में महीने भर से हो रही जातीय हिंसा की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश के द्वारा की जायेगी. इसका ऐलान केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. आईएएनएस से मिली जानकारी के अनुसार, राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय शांति समिति का गठन किया जाएगा, और समिति में सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को शामिल किया जाएगा.
खबरों के अनुसार, मणिपुर के मुख्य सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में एक संयुक्त सुरक्षा कमान का गठन किया जाएगा. यह सुरक्षा संबंधी सभी अभियानों का निष्पक्ष संचालन करेंगे. वहीं केंद्र द्वारा एक संयुक्त सचिव और 5 निदेशक स्तर के अधिकारियों को मणिपुर में तैनात किया जाएगा.
मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए आदिवासी बाहुल्य टेंग्नौपाल, कांगपोकपी और चुराचंदपुर जिलों में मणिपुर हाईकोर्ट की एक सर्किट बेंच स्थापित करने की पहल की जाएगी.
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रिपोर्ट के अनुसार, इस हिंसा से संबंधित 6 विशिष्ट मामलों की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के द्वारा कराई जाएगी.
क्या होती है न्यायिक जांच
कानून के अनुसार इस तरह के जांच को किसी जिला जज, जिला अदालत, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी अवकाश प्राप्त जज से कराई जाती है. इस तरह के मामले में जजों की संख्या एक से अधिक भी हो सकती है.
न्यायिक जांच में जज मौका ए वारदात का मुआयना से लेकर गवाहों और सबूतों की जांच भी खुद करते हैं.
क्या है मामला
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती समुदाय और आदिवासियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं हैं. लगातार हुई हिंसा में कई लोगों की जान चली गई. हिंसा प्रभावित इलाकों से बचाकर 23,000 लोगों को सैनिक शिविरों में लाया गया.
हालात पर काबू में रखने के लिए सेना और असम राइफल्स के जवानों को हिंसा प्रभावित इलाकों में तैनात किए गए थे. वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी तीन याचिकाएं दायर की गई हैं.