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गंगा के पानी की गुणवत्ता की नियमित रूप से हो निगरानी-Allahabad High Court

माघ मेले के दौरान गंगा के पानी की गुणवत्ता बनाए रखने और साफ सफाई को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट को आश्वास​न दिया है कि सरकार इस मामले में तत्परता से कार्य करेगी.

Written By Nizam Kantaliya | Published : January 13, 2023 7:43 AM IST

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वह माघ मेले को देखते हुए कानपुर और प्रयागराज में गंगा के पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी सुनिश्चित करें.

गंगा नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की तीन सदस्य पीठ ने संबंधित अधिकारियों को कई निर्देश दिए है.

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नहीं जाए पानी में कचरा

पीठ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि माघ मेले के तैयार किए गए अस्थाई शौचालयों से तरल या ठोस या किसी तरह का अपशिष्ट गंगा और यमुना नदियों के पानी में ना छोड़ा जाए.

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पीठ ने बेहद सख्त शब्दों में अधिकारियों से कहा है कि "किसी भी परिस्थिति में मेले के लिए किसी भी तरह के कुड़े करकट को इकट्ठा करने और उसे भेजने के लिए एक उचित तंत्र होना चाहिए.

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पीठ ने कहा कि यदि सेप्टिक टैंक में सीवेज एकत्र किया जाता है, तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसे मेले के समाप्त होने पर हटा दिया जाए और उसे ऐसे ही छोड़ा नहीं जाएगा.

ना हो सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसके साथ ही मेले के दौरान प्रदूषण और साफ सफाई का ध्यान रखने के निर्देश देते हुए मेला अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि मेला क्षेत्र में किसी भी तरह से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग ना हो. पीठ ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगे प्रतिबंध को पूर्ण रूप से लागू किया जाए.

पीठ ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक को किसी भी हाल में गंगा या यमुना के पानी में ना डाला जाए.

सरकार कर रहीं है जिम्मेदारी से कार्य

जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए पीठ से कहा कि सरकार माघ मेले को लेकर बेहद सावधानी बरत रही है और जिम्मेदारी से सभी विभाग कार्य में जुटे हुए है.

महाधिवक्ता ने पीठ को आश्वासन दिया कि जिला प्रयागराज, कानपुर और उन्नाव के मजिस्ट्रेट और नगर आयुक्त के साथ ही सभी अधिकारियों के साथ वे स्वयं भी संपर्क में हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां स्थापित चमड़ा इकाइयों से भी किसी तरह का अपशिष्ट गंगा नदी में बिना परिष्कृत किए नहीं डाला जाए.

महाधिवक्ता मिश्रा ने पीठ के समक्ष कहा कि वे इस मामले के याचिकाकर्ता के अधिवक्ता, इस केस से जुड़े न्यायमित्र, संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. जिससे अगले आने वाले कुंभ मेले से पहले तरल और ठोस अपशिष्ठ सहित अन्य मुद्दों को सुलझाया जा सके.

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख तय की है.