सशस्त्र बलों में पाक नागरिकों की भर्ती, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई से जांच करने को कहा
कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को सशस्त्र बलों में दो पाकिस्तानी नागरिकों की कथित भर्ती के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) को प्रीलिमिनरी और पैरलेल (समानांतर) जांच का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी मामले में अपनी समानांतर जांच जारी रखेगी, और कहा कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सभी जांच एजेंसियों को एक साथ काम करने की जरूरत है.
रिपोर्ट के अनुसार, 13 जून को बिष्णु चौधरी द्वारा न्यायमूर्ति मंथा की पीठ में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि दो कथित पाकिस्तानी नागरिक जयकांत कुमार और प्रद्युम्न कुमार वर्तमान में राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के बैरकपुर स्थित छावनी में तैनात हैं.
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गंभीर आरोप
एजेंसी की माने तो चौधरी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि दोनों का चयन कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा के माध्यम से हुआ और उन्होंने जाली दस्तावेजों के जरिए नौकरियां हासिल कीं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जाली दस्तावेजों के जरिए ऐसी नियुक्तियों के पीछे प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं, नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों से जुड़ा एक बड़ा रैकेट शामिल है.
उस दिन, न्यायमूर्ति मंथा ने सीआईडी को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया और इस मामले में केंद्र सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो और भारतीय सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख को भी पक्षकार बनाया.
मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि सीआईडी के अधिकारियों द्वारा शुरुआती निष्कर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं. सांठगांठ की जड़ का अभी तक पता नहीं चल पाया है.
उत्तर प्रदेश, असम और बिहार जैसे अन्य राज्यों के साथ भी संबंध सामने आए हैं. सेना, सीबीआई और सीआईडी को किसी भी प्रकार के टकराव के बिना एक साथ काम करना चाहिए. न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि सीआईडी अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट भारतीय सेना अधिकारियों को देती है, जो इस मामले में अपनी रिपोर्ट दे सकते हैं.
उन्होंने सीबीआई और सीआईडी दोनों को 26 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख पर अपनी-अपनी जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया.