क्या स्टेशन में पुलिस की बातों को रिकार्ड करना 'गोपनीयता कानून' के तहत अपराध है? जानें Bombay HC ने क्या कहा
क्या थाने में पुलिस के साथ हो रही बातचीत को रिकार्ड करना अपराध है? क्या पुलिस की बातों को रिकार्ड करना अधिकारिक गोपनीयता कानून (Official Secret Act) का उल्लंघन है? इसी से जुड़ा एक मुकदमा बॉम्बे हाईकोर्ट के पास पहुंचा, जिसमें दो भाइयों के खिलाफ पुलिस ने थाने में हो रही बातचीत को रिकार्ड करने को लेकर अधिकारिक गोपनीयता कानून के तहत मुकदमा (FIR) दर्ज किया था, दोनों भाइयों पर पुलिस की बातों को रिकार्ड करने का आरोप है. पुलिस ने दावा किया कि ये पूरा घटना पुलिस स्टेशन में ही हुआ है. आरोपी भाई अपने खिलाफ दर्ज हुए FIR को रद्द करने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की. आइये जानते हैं कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है...
क्या पुलिस की बातचीत record करना अपराध?
बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति एस जी चपलगांवकर की खंडपीठ के सामने आरोपी भाइयों की याचिका सुनी गई. हाईकोर्ट ने भाइयों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून (Official Secret Act) के तहत दर्ज मुकदमा को खारिज कर दिया लेकिन भारतीय दंड संहिता के दर्ज हुए अपराध को खारिज करने से इंकार किया है.
अदालत ने कहा,
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"पुलिस स्टेशन में पुलिस के साथ हो रही बातचीत को रिकार्ड करना Offcial Secret Act के तहत अपराध नहीं है."
बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि आरोपी के कार्य इस मामले में अपराध को आकर्षित नहीं करते हैं.
पुलिस ने क्यों लगाया था Official Secret Act?
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून के तहत अपराध को दर्ज किया. पुलिस ने कहा कि ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट की धारा 2(8) के अनुसार पुलिस स्टेशन एक प्रतिबंधित क्षेत्र है और इस क्षेत्र में हो रही बातचीत को रिकार्ड करने को पुलिस ने जासूसी करार दिया. हालांकि अदालत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
क्या है मामला?
दो भाई, सुभाष और संतोष रामभाऊ अठारे के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस ने साल 2019 में आईपीसी की धारा 120बी (अपराधिक साजिश) और धारा 506 (धमकी) के साथ-साथ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. जांच के दौरान भाईयों ने पुलिस के साथ हुई बातचीत को रिकार्ड किया था और ये पूरा घटनाक्रम पुलिस स्टेशन में ही हुआ था. दोनों भाई मुकदमा रद्द कराने को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे, हाईकोर्ट ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत लगे धाराओं को रद्द कर दिया है लेकिन आईपीसी के तहत लगाए गए धाराओं को रद्द करने से मना कर दिया है.