सहमति के बिना फोन कॉल रिकॉर्ड करना निजता का उल्लंघन है- दिल्ली हाईकोर्ट
नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख संजय पांडे को जमानत देते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना फोन टैपिंग या कॉल रिकॉर्डिंग करना "निजता का उल्लंघन" हैं. जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने संजय पांडेय की जमानत को कुछ शर्तों के साथ मंजूर किया है. पांडे को ईडी ने मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है.
निजता का उल्लंघन लेकिन...
जमानत याचिका मंजूर करते हुए जस्टिस जसमीत सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना सहमति के फोन टैप करना या कॉल रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है. जस्टिस सिंह ने कहा “मैं प्रथम दृष्टया यह मानता हूं कि फोन लाइनों को टैप करना या बिना सहमति के कॉल रिकॉर्ड करना निजता का उल्लंघन है, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित निजता का अधिकार मांग करता है कि फोन कॉल रिकॉर्ड नहीं किए जाएं। केवल संबंधित व्यक्तियों की सहमति से ही इस तरह की गतिविधि को अंजाम दिया जा सकता है अन्यथा यह निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा, ”उन्होंने कहा।
जस्टिस जसमीत सिंह ने इसके बावजूद जमानत देते हुए कहा कि भले ही NSE और iSec ने निजता का उल्लंघन किया हो, लेकिन ये प्रथम दृष्टया मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत अपराध नहीं बनाते है.
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फोन टैपिंग के आरोप
पूर्व पुलिस प्रमुख संजय पांडे पर एनएसई कर्मचारियों के फोन टैपिंग पर आरोप है. उनके खिलाफ ईडी ने सितंबर 2022 में ही दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर की है. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में वर्ष 2009 से 2017 तक एनएसई कर्मचारियों के फोन टैप किए गए.
अगस्त 2022 में राउज एवेन्यू ट्रायल कोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि अदालत के सामने रखी गई सामग्री के आधार पर अपराध में अभियुक्त की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है. ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत खारिज किए जाने के बाद संजय पांडे की और हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की गयी. हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी, आदित्य वाधवा और सिद्धार्थ सुनील ने पैरवी की.
मामला राजनीतिक विचारों से प्रेरित
जमानत याचिका पर सुनवाई में पांडे की ओर से कहा गया कि "उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों की जांच और मुकदमा चलाया था और तत्काल कार्यवाही एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों के ईमानदार और ईमानदारी से निर्वहन किया है. पाण्डे की और से कहा गया कि यह मामला स्पष्ट रूप से राजनीतिक विचारों से प्रेरित है जो कि इससे स्पष्ट होता है कि कथित रूप से 2009 और 2017 के बीच हुए एक अपराध की जांच तेरह साल बाद 2022 में की जा रही है,
याचिका का विरोध करते हुए ईडी की और से जमानत का विरोध किया गया. ईडी के अधिवक्ताओं ने अदालत से कहा कि पांडे गवाहों को प्रभावित कर सकते है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है.
सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने सशर्त संजय पांडे को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए.
क्या है मामला
संजय पांडे ने 2001 में पुलिस सेवा से इस्तीफा दिया था. उसके बाद उन्होंने एक आईटी ऑडिट फर्म बनाई थी, फिर जब उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया तो वे पुलिस सेवा में वापस आ गए और उन्होंने फर्म में अपने बेटे और मां को निदेशक बना दिया. 2010 और 2015 के बीच Isec Services Pvt Ltd नाम की फर्म को NSE सर्वर सर्वर और सिस्टम का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया.
चार्जशीट में एनएसई के पूर्व प्रमुखों चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त पांडे के खिलाफ दायर की गई थी. ईडी ने दावा किया था कि पांडे को रामकृष्ण की मदद के लिए एमटीएनएल लाइनों को टैप करने के लिए 4.54 करोड़ रुपये मिले थे और ये अपराध के लिए आय थी.
रामकृष्ण ने इस फर्म का इस्तेमाल एनएसई कर्मचारियों के फोन टैप करने के लिए किया था. एनएसई कर्मचारियों द्वारा सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच किए गए फोन कॉल को iSec Securities Pvt. द्वारा टैप और रिकॉर्ड किया गया था. लिमिटेड पर यह आरोप लगाया गया है कि पांडे ने अवैध रूप से फोन कॉल टैप करने में मदद की थी।'