Rau's कोचिंग सेंटर हादसा: 'शहर की इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने के पैसे नहीं लेकिन सरकार फ्रीबीज कल्चर को बढ़ावा देने पर तुली', दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई चिंता
Rau's Ias Coaching Centre: दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 जुलाई को शहर के ओल्ड राजेंद्र नगर में यूपीएससी के तीन उम्मीदवारों की मौत के मामले में बुधवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के कमिश्नर, पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और जांच अधिकारी (आईओ) को तलब किया है. सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर की कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर चिंता जाहिर की है. हाईकोर्ट ने कहा कि एक तरफ सरकार के पास शहर की बुनियादी व्यवस्था को बेहतर बनाने के पैसे नहीं है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार फ्रीबी कल्चर को बढ़ावा देने पर लगी है.
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शहर की इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे सुधारेंगे, हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा
दिल्ली हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारी बारिश के बाद बेसमेंट में तीन यूपीएससी उम्मीदवारों की मौत की घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की मांग की गई थी. पीठ में शामिल जस्टिस तुषार राव गेडेला ने 'फ्रीबीज कल्चर' पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार के पास बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए पैसे नहीं हैं लेकिन फ्रीबीज कल्चर को बढ़ावा देने पर तुली है.
अदालत ने कहा,
"आपको इस फ्रीबीज कल्चर पर फैसला करना होगा. इस शहर में 3.3 करोड़ लोगों की आबादी है, जबकि इसकी योजना 6-7 लाख लोगों के लिए बनाई गई थी. आप बिना इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किए इतने लोगों को कैसे संभालने की योजना बना रहे हैं?
मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए सहमति जताई. एसीजे मनमोहन ने अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह को आश्वासन दिया, जो याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए और तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया, कि मामले को बुधवार को सूचीबद्ध किया जाएगा. जनहित याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक विभागों में "भारी भ्रष्टाचार" के कारण कई लोग वर्षों से अपनी जान गंवा रहे हैं और राष्ट्रीय राजधानी ने पिछले कुछ वर्षों में कई भयानक और डरावनी घटनाओं का सामना किया है. दिल्ली में 50 प्रतिशत से अधिक व्यावसायिक इमारतें अवैध तरीके से चल रही हैं और उनमें से कई आवासीय क्षेत्रों में चल रही हैं, वह भी बिना किसी उचित अनुमोदन और मंजूरी के, और प्रतिवादी (प्राधिकरण) उनके अवैध कामकाज से अच्छी तरह वाकिफ हैं.
याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीने के अधिकार की तरह ही सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी मौलिक अधिकार है, लेकिन दिल्ली के अधिकारी नागरिकों को सम्मान के साथ जीने या कम से कम सम्मान के साथ मरने का अधिकार देने में विफल रहे और लोग उनकी "लापरवाही" के कारण मर रहे हैं.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में तीन लोगों की जान लेने वाली घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था. इस समिति में अतिरिक्त सचिव (आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय), प्रमुख सचिव (गृह) दिल्ली, दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त, अग्निशमन सलाहकार और संयुक्त सचिव (एमएचए) शामिल हैं, जो 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे.
दिल्ली कोचिंग सेंटर हादसा क्या है?
शनिवार शाम को, दिल्ली के पुराने राजेंद्र नगर इलाके में एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में भारी बारिश के कारण जलभराव होने से यूपीएससी की परीक्षा देने वाले तीन उम्मीदवारों की जान चली गई, जिसका अवैध रूप से पुस्तकालय के रूप में उपयोग किया जा रहा था. इस घटना में 17 अन्य छात्र कई घंटों तक फंसे रहे थे. कोचिंग सेंटर के बेसमेंट का उपयोग नियमों का उल्लंघन करते हुए लाइब्रेरी के रूप में किया जा रहा था, क्योंकि इस स्थान का उपयोग केवल पार्किंग और भंडारण उद्देश्यों के लिए किया जा सकता था.