पीड़िता से करनी होगी विवाह! नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपी को Allahabad HC से मिली सशर्त जमानत
दुष्कर्म के मामले में आरोपी को जमानत मिलना कठिन होता है. जमानत देने के लिए अदालत कई पहलुओं पर विचार करती है. कई बार तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ही दुष्कर्म के मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने पर भी मुकदमे को बंद करने से इंकार कर दिया था, लेकिन इस घटना में अदालत ने आरोपी को नाबालिग पीड़िता से शादी व बच्चे के भरण-पोषण करने के शर्त पर जमानत देने की बात कही, जिस पर आरोपी ने अपनी सहमति जताई. तब जाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को जमानत दी है (Allahabad High Court grants Bail to Rape Accused with Condition of Marrying Victim). आइये जानते हैं पूरा मामला...
दुष्कर्म के आरोपी को विवाह की शर्त पर मिली जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी के बहाने एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी को सशर्त जमानत देते हुए आदेश दिया कि वह रिहा होने के बाद पीड़िता के साथ विवाह करेगा और अपने नवजात शिशु की देखभाल करेगा. उच्च न्यायालय में जस्टिस कृष्ण पहल ने जमानत का आदेश पारित करते हुए यह भी आदेश दिया कि आरोपी व्यक्ति को नवजात शिशु के नाम पर दो लाख रुपये सावधि खाते में जमा कराने होंगे.
अदालत ने कहा,
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“याचिकाकर्ता अभिषेक को रिहा होने के तीन महीने के भीतर पीड़िता से विवाह करना होगा और नवजात शिशु की देखभाल करनी होगी. इस शर्त के साथ याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जा रहा है. याचिकाकर्ता जेल से रिहा होने की तिथि से छह महीने के भीतर नवजात शिशु के नाम पर दो लाख रुपये जमा करेगा.”
जमानती आदेश में अदालत ने ये भी कहा कि शोषण और पारस्परिक सहमति से संबंधों के बीच भेद करना चुनौतीपूर्ण है. उचित ढंग से न्याय मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है. अदालत ने आरोपी को सशर्त जमानत देने का विचार किया.
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता पर 15 साल की लड़की से विवाह का झूठा वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का आरोप है. बाद में लड़की गर्भवती हो गई और आरोपी व्यक्ति ने विवाह करने के वादे से इनकार कर दिया, जिसके बाद उसके खिलाफ सहारनपुर के चिलकाना थाने में सुसंगत धाराओं के तहत दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया गया था. याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि पीड़िता बालिग है और मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में उसने कहा था कि उसके साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की है.
याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि आरोपी, पीड़िता की जिम्मेदारी उठाने का इच्छुक है और वह इस संबंध से जन्मी नवजात बच्ची की देखभाल करने को भी तैयार है. वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता चार अप्रैल, 2024 से जेल में बंद है और अगर उसे रिहा कर दिया जाता है तो वह अपनी रिहाई का दुरुपयोग नहीं करेगा.