राजस्थान फोन टैपिंग मामले में मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा को मिली राहत, Delhi HC ने 9 अगस्त तक गिरफ्तारी पर लगाई रोक
By Nizam Kantaliya
नई दिल्ली: राजस्थान फोन टैपिंग मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा को दिल्ली पुलिस की गिरफ्तारी से दिल्ली हाई कोर्ट से मिली राहत अगस्त माह तक के लिए बढा दी है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के अपने आदेश को 9 अगस्त बढ़ाते हुए मामले की सुनवाई उसी दिन दोपहर तीन बजे तय की है.
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रोस्टर में हुए बदलाव के चलते इस मामले पर बुधवार को जस्टिस विकास महाजन की एकलपीठ द्वारा सुनवाई की गयी. पूर्व में यह मामला जसमीत सिंह की अदालत में था.
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान लोकेश शर्मा के अधिवक्ता ने मामले की जांच दिल्ली पुलिस से राजस्थान ट्रांसफर करने की गुहार लगाते हुए देश के गृह मंत्री अमित शाह और टीवी जर्नलिस्ट अर्नब गोस्वामी के मामले का उदाहरण दिया है.
लोकेश शर्मा के अधिवक्ता ने अदालत से अनुरोध किया उसका मामला भी इन दोनों मामलों के समान है. और इस मामले में राजस्थान पुलिस पहले से जांच कर रही है इसलिए इस मामले को भी राजस्थान ही ट्रांसफर किया जाना चाहिए.
दिल्ली पुलिस ने किया रोक हटाने का अनुरोध
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने मार्च 2021 में मामला दर्ज किया था. दर्ज किए गए मामले में लोकेश शर्मा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2023 में लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.
दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अर्जी दायर कर रोक हटाने की गुहार की है.
दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) संजय जैन ने लोकेश शर्मा के अधिवक्ता के दलीलों का विरोध किया और कहा कि इस मामले में एलिगेशन इललीगल फोन टैपिंग के हैं और आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता लोकेश शर्मा इस मामले में सहयोग नहीं कर रहे है.
दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा कि उसने फोन टैपिंग से जुड़ी डिटेल के लिए राजस्थान के पुलिस अधिकारी को 41A का नोटिस भेजा है लेकिन वहां से Manipulation हुआ और एड्रेस चेंज कर दिया गया और भेजा गया नोटिस वापस आ गया है.
दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा कि इस मामले की जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है, इसलिए इस मामले को त्वरित सुने जाने की भी आवश्यकता है.
दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि वो इस मामले में जांच एजेंसी है और राजस्थान राज्य की ओर से इस मामले की सुनवाई में किसी अधिकारी को होना चाहिए, लेकिन जांच में स्टेट की मशीनरी यदि बिल्कुल रिसपोंड नहीं कर रही है तो यह एक मिसचीव प्ले है.
खारिज करने की पहली प्रार्थना
लोकेश शर्मा की ओर से एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने पैरवी करते हुए अदालत से इस पुरे मामले को ही रद्द करने का अनुरोध किया.
दिल्ली पुलिस के तर्को का जवाब देते हुए लोकेश शर्मा के अधिवक्ता ने कहा कि हमारी याचिका इस एफआईआर को ख़ारिज करने की है, हम नहीं चाहते राजस्थान और दिल्ली में इस मैटर पर विवाद के बीच यह याचिका साइड में चली जाए, दिल्ली में एजेंसी और स्टेट मशीनरी का अपना काम है लेकिन याचिका एफआईआर को ख़ारिज करने के लिए है.
राजस्थान किया जाए ट्रांसफर
अधिवक्ता ने कहा कि मामला राजस्थान का है और कोई दिल्ली में केस दर्ज करा देता है, उन्होंने मांग की एफआईआर को राजस्थान ट्रांसफर किया जाए.
अधिवक्ता ने कहा कि उनकी पहली प्रार्थना मुकदमे को खारिज करने की है अदालत अगर इसे स्वीकार नहीं करती है तो इस मामले की जांच राजस्थान ट्रांसफर की जाए.
लोकेश शर्मा के अधिवक्ता ने देश के गृहमंत्री अमित शाह, अर्नब गोस्वामी के मामलो में समान एलिगेशन में यदि पर्टिकुलर स्टेट में पहले से एफआईआर पेंडिंग है तो दूसरे राज्यों में दर्ज मामले में पहली एफआईआर की जगह पर ट्रांसफर की जा सकती है
अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में दलील देते हुए कहा कि कहा कि राजस्थान सीएम के ओएसडी के खिलाफ पहले से ही राजस्थान में भी जांच चल रही है और वहां भी इस मामले में एफआईआर दर्ज है और उसी फोन टेपिंग मामले में केंद्रीय मंत्री ने दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई है.जिसे खारिज किया जाना चाहिए.
अगस्त में सुनवाई, राहत बरकरार
दोनो पक्षो की लंबी बहस के चलते अदालत का न्यायालय समय पूर्ण होने पर अदालत ने इस मामले की सुनवाई 9 अगस्त की दोपहर 3 बजे तक के लिए टाल दी है. तब तब के लिए हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश को भी बरकरार रखा है जिसके जरिए लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगायी गयी है.