Advocates Protection Bill लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य
नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा में सोमवार शाम Advocates (Protection) Bill पारित कर दिया गया है. वकीलों की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है.
राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक (Advocates Protection Bill) पिछले सप्ताह पेश किया गया था और मंगलवार को कुछ संशोधनों के साथ इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया है.प्रोटेक्शन एक्ट लागू होने के बाद राजस्थान में पिछले एक माह से जारी अधिवक्ताओं की हड़ताल को समाप्त करने की घोषणा कर दी गई.
इस बिल की मांग को लेकर प्रदेश की अदालतों में 20 फरवरी से वकील कार्य बहिष्कार पर चल रहे थे. अब बिल पारित होने के बाद वकील अदालतों में काम पर लौटेंगे.
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गौरतलब है कि राजस्थान के जोधपुर में एक थाने में हुई वकील की पिटाई के विरोध में पिछले 1 महीने से एडवोकेट एसोसिएशन हड़ताल पर चल रहा था, जिससे अदालतों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा था. इसके साथ ही राज्य के अलग अलग बार एसोसिएशन भी लगातार हड़ताल की चेतावनी दे रहे थे या न्यायिक कार्य बहिष्कार किए हुए थे.
देश भर में राजस्थान पहला प्रदेश बन गया जहां एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया गया है. इस विधेयक का उद्देश्य अधिवक्ताओं के खिलाफ मारपीट, गंभीर चोट, आपराधिक बल और आपराधिक धमकी के अपराधों और अधिवक्ताओं की संपत्ति को नुकसान या नुकसान की रोकथाम के लिए सुरक्षा प्रदान करना है.
हाथ भी लगाया तो
राजस्थान विधानसभा द्वारा इस विधेयक को पारित किए जाने के बाद अब राजस्थान में अगर किसी ने वकील पर हाथ उठाया तो वह गैर जमानती अपराध माना जाएगा.
विधेयक की धारा 3 के अनुसार अदालत परिसर में अधिवक्ता के कर्तव्यों के निर्वहन के संबंध में अधिवक्ताओं पर हमला, गंभीर चोट, आपराधिक बल और आपराधिक धमकी से सुरक्षा प्रदान करती है.
विधेयक की धारा 4 में प्रावधान है कि अधिनियम की धारा 3 में वर्णित किसी अपराध के संबंध में किसी अधिवक्ता द्वारा पुलिस को दी गई किसी भी रिपोर्ट पर पुलिस निर्धारित तरीके से सुरक्षा प्रदान कर सकती है.
वही धारा 5 में वकीलों के खिलाफ हुए अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया हैं. वही धारा 8 वकीलों के लिए मुआवजा का रास्ता तय करती है.
7 साल की जेल
राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक 2023 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिसमें अगर किसी वकील के साथ उसके कार्य के संबंध में हमला, घोर उपहित, आपराधिक बल, अपहरण का प्रयास किया गया तो यह गैर जमानती अपराध माना जाएगा. इसके अलावा आरोप सिद्ध होने पर आरोपी को 7 साल की जेल और 20 हजार रुपए तक का जुर्माना भी हो सकता है.
इसके साथ ही बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है तो अदालत आरोपी से वकील को क्षतिपूर्ति दिलवाएगा. पहले बिल में यह प्रावधान न्यायालय परिसर तक ही सीमित किए गए थे लेकिन वकीलों की मांग पर इस बिल की धारा-3 में संशोधन करके उसे पूरे प्रदेश के लिए में लागू किया गया है.
वकील को 2 साल की सजा
मतलब अगर कहीं भी वकील पर उसके कार्य के संबंध में हिंसा की जाती है तो इस एक्ट में वकील को प्रोटेक्शन मिलेगा. इसके अलावा बिल की धारा-9 को भी विलोपित कर दिया गया है.
पहले वकील द्वारा अपने कर्त्तव्य का निर्वहन नहीं करने पर एक्ट में उसके खिलाफ मुवक्किल को भी शिकायत करने का अधिकार दिया गया था लेकिन क्योंकि एडवोकेट एक्ट में पहले से ही वकील की शिकायत का प्रावधान है.
धारा-11 को भी संशोधित किया गया है. इसमें पहले कहा गया था कि अगर कोई वकील इस एक्ट का दुरुपयोग करता है तो उसे 3 साल तक की सजा हो सकती थी लेकिन अब सजा को 2 साल तक कर दिया गया है.