Advertisement

राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, इन प्लास्टिक उत्पादों पर नहीं हटेगा प्रतिबंध

खंडेलवाल पेपर इंडस्ट्रीज बनाम राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मामले में सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के द्वारा हाल ही में लैमिनेटेड पेपर कप, प्लेट और ग्लास पर राज्य के प्रतिबंध को बरकरार रखने का आदेश दिया गया है.

Written By My Lord Team | Published : June 8, 2023 11:53 AM IST

New Delhi: Plastic Ban-खंडेलवाल पेपर इंडस्ट्रीज बनाम राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मामले में सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के द्वारा हाल ही में लैमिनेटेड पेपर कप, प्लेट और ग्लास पर राज्य के प्रतिबंध को बरकरार रखने का आदेश दिया गया है.

खंडेलवाल पेपर इंडस्ट्रीज बनाम राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति समीर जैन ने पाया की प्लास्टिक लेपित कागज़ में 95% कागज़ का इस्तेमाल तो होता है लेकिन 5% कम घनत्व वाली पॉलिथीन LDPE की पतली परत का भी इस्तेमाल होता है.

Advertisement

इन लैमिनेटेड पेपर कप, प्लेट और ग्लास सरीखे उत्पादों में जल से प्रतिरोध प्रदान करने के लिए इस शीट का इस्तेमाल होता है.

Also Read

More News

इस आधार पर ही राजस्थान उच्च न्यायलय के द्वारा प्लास्टिक-लेपित पेपर कप, प्लेट और गिलास एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुएं बताया गया और इनपर लगे प्रतिबन्ध को उचित ठहराया गया.

Advertisement

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लगाया था प्रतिबंध

आपको बता दें की पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अगस्त 2021 में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत 1 जुलाई, 2022 चिन्हित एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण, आयात, संग्रहण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है.

इस अधिसूचना के बाद अप्रैल और जुलाई 2022 में, RSPCB ने याचिकाकर्ताओं के व्यवसायों को बंद करने के लिए नोटिस जारी किए। इसके बाद प्रतबंधित उत्पादों के निर्माता अदालत पहुंच गए, और उन्होंने तर्क दिया की 2021 की अधिसूचना में लैमिनेटेड पेपर कप प्रतिबंधित उत्पादों की सूची में शामिल नहीं थे.

इसके जवाब में RSPCB ने अदलात को सूचित करते हुए बताया कि, प्लास्टिक कप प्रतिबंध की शुरुआत के बाद से ही प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में शामिल थे, और लैमिनेटेड कपों के मामले पर विशेष रूप से जून 2022 में इस उद्देश्य के लिए गठित एक राष्ट्रीय कार्य बल द्वारा विचार किया गया था.

RSPCB के द्वारा आगे कहा गया कि निषेध अधिसूचना और राष्ट्रीय कार्य बल की बैठक के निष्कर्षों के अनुसार ही लैमिनेटेड पेपर कप बनाने वाले उद्योगों को बंद करने का आदेश दिया गया था.

इस सभी तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए राज्य सरकार को अधिसूचना लागू करने का निर्देश दिया.

इसके साथ ही न्यायलय ने ये भी कहा की आरएसपीसीबी ने याचिकाकर्ताओं को क्लोजर नोटिस जारी करते समय अपने अधिकार क्षेत्र में काम किया था।

इसने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध "उचित प्रतिबंध" का गठन करता है।