मानहानि मामले में Rahul Gandhi की अपील, कहा केवल Narendra Modi ही दायर कर सकते थे मानहानि का केस
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से सूरत की सत्र अदालत में मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी गई है. राहुल गांधी की ओर से दायर अपील में इस मानहानि के मुकदमें को पुरी तरह से पॉलिटिकली मोटिवेटेड बताया गया है.
सीनियर एडवोकेट आर.एस. चीमा, एडवोकेट किरीट पानवाला और एडवोकेट तरन्नुम चीमा की लीगल टीम के जरिए दायर की गई अपील में राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट में अपनी सजा को चैलेंज करते हुए कहा कि केवल नरेंद्र मोदी ही उनके खिलाफ मानहानि का केस कर सकते हैं.
राहुल गांधी की ओर से सूरत के सत्र न्यायालय में अपनी सजा को चुनौती देते हुए सोमवार को ये अपील दायर की गई है.
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कानूनी बिंदू
राहुल गांधी की लीगल टीम ने सजा को चुनौती देते हुए 7 प्रमुख तर्क दिए हैं.
राहुल गांधी की लीगल टीम ने कोर्ट में तर्क दिया कि इस मामले में केवल नरेंद्र मोदी ही अपील कर सकते हैं. अपील में कहा गया कि मामले में पूर्णेश मोदी पीड़ित व्यक्ति नहीं थे और उन्हें शिकायत दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं था.
अपील में कहा गया कि आपराधिक कानून के तहत कोई भी केस कर सकता है लेकिन जहां तक धारा 499 औऱ 500 के तहत आपराधिक मानहानि का संबंध है, इस मामले में केवल पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत कर सकता है.
राहुल गांधी की ओर से कहा गया कि "व्यक्तिगत रूप से नरेंद्र मोदी के खिलाफ जो कथित लांछन उनके द्वारा लगाया गया है, उसके लिए केवल नरेंद्र मोदी को मानहानि के अपराध से पीड़ित व्यक्ति के रूप में माना जा सकता है और केवल नरेंद्र मोदी ही इसके लिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
अपील में राहुल की ओर से कहा गया कि उनका भाषण (सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों है’) नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी और ललित मोदी के संबंध में थे, न कि पूरे मोदी समुदाय के संबंध में.
अपील में कहा गया है कि विपक्ष में एक सांसद होने के नाते उनसे सरकार के प्रति सतर्क और आलोचनात्मक होने की अपेक्षा की जाती है और इसलिए, विपक्ष में ऐसा राजनेता हमेशा अपने शब्दों को सुनहरे तराजू में नहीं तौल सकता है.
अपील में राहुल गांधी की ओर से कहा गया कि "इसलिए यह अदालतों पर निर्भर है कि वे भाषण के स्वर और भाव के बजाय दिए गए भाषण के सार और भावना पर ध्यान केंद्रित करें.
मिली है 2 साल की सजा
गौरतलब है कि चुनावी रैली के दौरान 'सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है' टिप्पणी के मामले में सूरत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दोषी करार दिया था.
अदालत ने राहुल गांधी को इस मामले में दोषी घोषित करने के साथ ही 2 साल की सजा सुनाई थी.
अदालत ने राहुल गांधी की ओर से दायर अपील पर प्रतिवादी पक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए 10 अप्रैल तक का समय दिया है.वही सज़ा पर रोक संबंधी अपील पर सुनवाई की तारीख़ 13 अप्रैल तय की गई है.
मामले में राहुल की ओर से दायर नियमित जमानत आवेदन को मंजूर करते हुए अदालत ने राहुल गांधी को 13 अप्रैल की सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने से छूट दी है.
2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा की गई टिप्पणी को लेकर बीजेपी के विधायक और गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज की थी.