सरकारी नौकरी की परीक्षा में समाजिक-आर्थिक आधार पर नहीं मिलेंगे एक्स्ट्रा मार्क्स, हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार का फैसला पलटा
Additional Marks On Socio-Economic Basis: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने समाजिक-आर्थिक आधार पर पिछड़े वर्ग के छात्रों को सरकारी नौकरी की परीक्षा में एक्स्ट्रा 5 अंक देने के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है. हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन बताया है. हरियाणा सरकार का ये आरक्षण राज्य के समाजिक-आर्थिक तौर पर पिछड़े निवासियों पर ही लागू थी. अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इन मानदंडों को असंवैधानिक करार दिया है. वहीं, हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का दावा किया है.
अतिरिक्त मार्क्स देने का फैसला असंवैधानिक
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में, जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की डिवीजन बेंच ने सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए सरकारी नौकरी की परीक्षा में इस समाजिक-आर्थिक मानदंड को रद्द कर दिया. साथ ही अतिरिक्त अंक देने के फैसले के चलन को असंवैधानिक करार दिया है. बेंच ने हरियाणा के सरकार इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन भी माना.
बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता (Equality Before Law), अनुच्छेद 15: जाति, धर्म, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध (No Discrimination On the Basis of Caste, Religion, Gender or Birth Place) और अनुच्छेद 16: सरकारी में समान अवसर से जुड़ा है.
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हरियाणा सरकार का फैसला क्या था?
हरियाणा सरकार ने कुछ वर्ष पहले ही सरकार नौकरी में समाजिक-आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरी की परीक्षा में अतिरिक्त 5 अंक प्रदान करना था. इस मानदंड में वे छात्र भी थे जिनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है. साथ ही कैंडिडेट राज्य के मूल निवासी हो और उनके परिवार की आर्थिक आय करीब 1.80 लाख रूपये से अधिक नहीं हो. हरियाणा सरकार ने इन मानदंडों को पूरा करने वाले छात्रों को सरकारी नौकरी के चयन प्रक्रिया में अतिरिक्त 5 अंक देने का निर्णय लिया था. अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज किया है.