Pune Porsche Case: नाबालिग को 'व्यस्क' मानकर सुनवाई होगी या नहीं, चर्चा के बीच आरोपी को रिमांड होम भेजा दिया गया, अब आगे क्या होगा?
Pune Porsche Case: महाराष्ट्र, पुणे के कल्याणी नगर की घटना, जहां 19 मई की देर रात नशे में धुत कार चालकों की टक्कर से बाइक पर जा रहे दो लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. दोनों मृतक पेशे से इंजिनियर थे, मूलत: मध्यप्रदेश के रहने वाले थे और पुणे में नौकरी करते थे. इस दुखद घटना ने पूरे देश का ध्यान इस ओर तब खींचा, जब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मात्र 15 घंटे के अंदर ही आरोपी को जमानत दे दी. देश भर में फैसले की निंदा होने पर 17 वर्षीय आरोपी को जुवेनाइल बोर्ड ने दोबारा से सुनवाई करते हुए आरोपी को पांच दिनों के लिए रिमांड होम (सुधार गृह) में भेजा है.
सोशल मीडिया पर लोगों ने काटा बवाल
घटना के बाहर आते ही सोशल मीडिया पर लोगों के बीच सही-गलत को लेकर तुल छिड़ गया. लोगों ने फैसले से नाखुशी जाहिर की. सोशल मीडिया पर, लोगों ने आरोपी को व्यस्क मानकर केस को चलाने की मांग की, तो कुछेक ने अमीर-गरीब के बीच भेदभाव नहीं करने को कह दिया.
नाबालिग आरोपी की जमानत शर्तें;
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आगे कार्रवाई की संभवानाएं
तो अहम सवाल है कि नाबालिग आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हां, चलाया जा सकता है. Heinous Crime में ऐसा हो सकता है. बता दें, 1986 में जब जुवेनाइल जस्टिस एक्ट बना था तब लड़कों के केस में नाबालिग उसे माना जाता था जिसकी उम्र 16 साल नहीं थी. साल 2000 में कानून में बदलाव हुए. उम्र 16 से बढ़ाकर 18 कर दिया गया.
2015 में जुवेनाइल जस्टिस एंड केयर एक्ट में फिर बदलाव किया गया. कहा गया कि जिसकी उम्र 16-18 के बीच में है और उसने जघन्य अपराध किया हो तो जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड बच्चे की शारीरिक और मानसिक क्षमताओं, उसकी योग्यताओं और उन परिस्थितियों के संबंध में असेसमेंट करेगा. इसके बाद नाबालिग पर वयस्क के तौर मुकदमा चलाया जा सकेगा.
हालांकि, इन सब चर्चाओं के बीच नाबालिग आरोपी को पांच दिनों के लिए सुधार गृह में भेज दिया गया है.
पिता को भी पुलिस ने किया गिरफ्तार?
नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुणे सेशन कोर्ट ने उन्हें दो दिन के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा है, वे 24 मई तक हिरासत में रहेंगे.