Advertisement

पुणे पोर्श केस: क्या अदालत नाबालिग आरोपी को 'बालिग' मानकर मुकदमा चला सकती है? कभी ऐसा हुआ है या नहीं, जानिए

पुणे पोर्श केस की घटनास्थल की फोटो (पिक क्रेडिट: X)

पुणे हिट एंड रन केस के बाद लोगों के मन में ये विचार आना कि अदालत नाबालिग आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चला सकती है या नही! तो आइये हम आपको बताते हैं...

Written By Satyam Kumar | Published : May 23, 2024 12:23 PM IST

Pune Hit & Run Case: पुणे की सड़क दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई है. मामले में आरोपी नाबालिग है. देश भर से लोगों ने आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाने की मांग कर रहे हैं. जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने  नाबालिग आरोपी को दोबारा से सुनवाई करने के बाद पांच दिनों की सुधार गृह पर भेजा है. ऐसे में सवाल का उठना लाजिमी है कि क्या पुलिस नाबालिग आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चला सकती है या नहीं!

कानूनी एक्सपर्ट्स की सलाह के अनुसार, आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है. ऐसे कई मुकदमे हैं जहां पर नाबालिग को बालिग मानकर मुकदमा चलाया गया है. आइये आपको बताते हैं...

Advertisement

पहला मुकदमा: दिल्ली गैंगरेप केस, 2012

इसे निर्भया गैंगरेप केस के नाम से भी जाना जाता है. इस केस में, दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ बेरहमी से गैंगरेप किया था. 6 में से एक नाबालिग था.

Also Read

More News

ये एक ऐतिहासिक फैसला था जिसने सुप्रीम कोर्ट को एक महत्वपूर्ण सवाल पर विचार करने के लिए मजबूर किया कि क्या 18 साल से कम उम्र के नाबालिग को जघन्य अपराध के लिए वयस्क माना जा सकता है?

Advertisement

इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद, 2015 में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में एक संशोधन किया गया था कि 18 साल से कम उम्र के लेकिन 16 साल से अधिक उम्र के किशोर को वयस्क अपराधी माना जाएगा.

दूसरा : मर्सिडीज हिट एंड रन केस, 2016

मर्सिडीज हिट एंड रन केस, 2016 मामले में आरोपी के बालिग होने के लिए सिर्फ 4 दिन बाकी थे. इस मामले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाबालिग को नाबालिग माना, जिसकी उम्र 18 वर्ष से 4 दिन कम थी. ये हिट एंड रन केस था. जहां आरोपी ने एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव की हत्या कर दी थी, जो 32 वर्ष का था. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया और अपराधी को नाबालिग माना.