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'इंसान की गरिमा और मौलिक अधिकारों की नींव है निजता'- केरल उच्च न्यायालय

Kerala HC Emphasis on Importance of Privacy in Immoral Trafficking Case

केरल उच्च न्यायालय में एक मामला आया है जहां याचिकाकर्ता ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अपनी सर्क्युलेट होती फोटोज पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अदालत ने निजता को लोगों की गरिमा और मौलिक अधिकारों की नींव बताया है

Written By My Lord Team | Published : June 24, 2023 9:11 PM IST

नई दिल्ली: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने हाल ही में एक ऑनलाइन अवैध तस्करी (Immoral Trafficking) के मामले में फैसला सुनाते हुए निजता (Privacy) के महत्व पर विशेष टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने यह कहा है कि निजता एक इंसान की गरिमा का संवैधानिक अंतर्भाग (constitutional core) तो है ही, साथ ही, यह वो नींव है जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों को एक साथ रखती है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केरल उच्च न्यायालय में अवैध तस्करी का एक मामला सामने आया है जिसमें याचिकाकर्ता का यह दावा है कि उनकी निजी जानकारी, जैसे नाम, फोटोज और पहचान को यूट्यूब (Youtube) समेत कई ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉरम्स पर अपलोड किया गया है।

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यह सारी जानकारी एक मामले से जोड़कर अपलोड की गई है जिसमें पुलिस ने याचिकाकर्ता को 'अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1965 (The Immoral Traffic (Prevention) Act, 1956- ITPA) के तहत पीड़ित के रूप में पेश किया गया था।

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याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि जबकि वो इस मामले में एक पीड़ित थीं, फिर भी उनकी तस्वीरें ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब चैनल्स पर फैलाई जा रही हैं और उनको इस तरह प्रदर्शित किया जा रहा है जैसे वो एक अनैतिक जीवन जी रही हों। इसके चलते उन्हें कई साइबर हमलों और अपमान का सामना करना पड़ रहा है।

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HC ने निजता का महत्व समझते हुए दिया ये फैसला

बता दें कि इस मामले में उच्च न्यायालय ने राज्य के पुलिस अध्यक्ष को यह निर्देश दिया है कि वो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से याचिकाकर्ता की तस्वीरें और बाकी निजी जानकारी हटवाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करवा दें; इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 27 जून है।

अपना फैसला सुनाते हुए केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बाबू ने अपने ऑर्डर में निजता के महत्व पर बल देते हुए कहा है कि निजता एक व्यक्ति की पवित्रता (sanctity) की परम अभिव्यक्ति है और यदि निजता के बिना किसी की कोई गरिमा नहीं है।

अदालत का ऐसा मानना है कि निजता वो संवैधानिक मूल्य है जिसका जन्म मौलिक अधिकारों से हुआ है और यही निजता न सिर्फ मौलिक अधिकारों की वो नींव है जो उन्हें साथ रखती है बल्कि ये एक व्यक्ति की गरिमा का आश्वासन देती है।