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गांजा रखने पर हो सकती है 6 माह से लेकर 20 साल तक की जेल

गांजे का सेवन और उसका उत्पादन वर्ष 1985 तक हमारे देश में पूरी तरह से वैध था. लेकिन वर्ष 1985 में NDPS Act लागू होने के साथ ही इसके सेवन, खपत,​ वितरण और खेती को भी नियत्रिंत किया गया.

Written By nizamuddin kantaliya | Published : December 19, 2022 12:58 PM IST

नई दिल्ली: कैनबिस यानी गांजा हमारे देश में सबसे अधिक खपत किए जाने वाले अवैध पदार्थों में से एक है, वर्ष 2019 में अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों के नियंत्रण बोर्ड (the international narcotics control board) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अवैध रूप से गांजा की खेती और उत्पादन करने की सबसे बड़ी सीमा रखने वाले देशों में भारत भी शामिल है.

देश में ये सामाजिक और धार्मिक समारोहों में भी सबसे ज्यादा सेवन किया जाने वाला मादक पदार्थ है. गांजे का सेवन और उसका उत्पादन वर्ष 1985 तक हमारे देश में पूरी तरह से वैध था. लेकिन वर्ष 1985 में Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, अधिनियम लागू होने के साथ ही  इसके सेवन, खपत, विवरण और खेती पर भी नियंत्रण लागू किया गया.

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क्या कहता है NDPS Act

NDPS Act के अनुसार देश में गांजा रखना अवैध घोषित किया गया. लेकिन इसकी खपत और उपज को देखते हुए सरकार ने लाइसेंस प्रणाली शुरू की. जिसके तहत गांजे का सेवन करने वाले व्यक्ति को लाइसेंस के आधार पर प्रतिमाह 500 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम तक की अनुमति दी गयी.

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गांजे का सेवन वर्तमान NDPS Act के अंतर्गत अवैध माना जाता है. गांजे का सेवन करने, अपने पास रखने, अवैध खेती या व्यापार करने पर मात्रा के आधार पर छह महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.

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NDPS Act यानी स्वापक औषधि और मन:प्रभावी अधिनियम के तहत उन मामलों में कार्रवाई की जाती है, जो ड्रग्स से जुड़े होते हैं. इस कानून को नशीली दवा और मादक पदार्थ अधिनियम 1985 भी कहा जाता है. इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को मादक दवाओं के निर्माण, उत्पादन, खेती, स्वामित्व, खरीद, भण्डारण, परिवहन, उपभोग करने या रखने के लिए प्रतिबंधित करता है.

क्या कहती है धारा 20

NDPS Act 20 के तहत कैनेबी यानी भांग के पौधे को उगाने को प्रतिबंधित करता है. साथ ही उत्पादन, खरीद फरोख्त, परिवहन, आयात निर्यात के साथ ही पज़ेशन यानी इस पौधे के उत्पाद गांजे को रखना भी दंडनीय है. इसके लिए कठोर कैद की सजा का प्रावधान है, जो मात्रा के हिसाब से तय हो सकती है.

मात्रा के साथ बढ़ती सजा

गांजा रखने के लिए सज़ा इस बात पर तय होती है कि उसकी मात्रा कितनी है. अगर यह कमर्शियल मात्रा में है तो ज़्यादा मात्रा वाली सजा का प्रावधान लागू होता है और अगर कम से कमर्शियल मात्रा के बीच है तो 10 साल तक की कठोर कैद और एक लाख रुपये तक जुर्माना संभव है.

गांजा रखने के लिहाज़ से 1 किलोग्राम तक की मात्रा को कम मात्रा में रखा गया हैं. अगर किसी व्यक्ति के पास से 1 किलोग्राम तक की मात्रा में गांजा पाया जाता है तो उसे छह महीने या एक साल तक कठोर कारावास की सजा के साथ ही 10 हज़ार रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता हैं. अपराध के आधार पर अदालत दोनो सजाए भी एक साथ दे सकती है.

10 से 20 साल तक की सजा

गांजा रखने की कमर्शियल मात्रा 1 किलोग्राम से 20 किलोग्राम तक है. इसके बीच की मात्रा यानी 1 किलोग्राम से ज़्यादा और 20 किलोग्राम की मात्रा के मामले में अपराधी को कम से कम 10 साल तक का कठोर कारावास और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा से दण्डित किया जाएगा.

गांजे की 20 किलोग्राम से ज्यादा मात्रा होने पर कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ ही 20 साल तक की आजीवन कारावास की कठोर कैद की सजा का प्रावधान है.इस तरह के अपराध के मामलो में आसानी से जमानत नहीं होती और हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से ही जमानत हो पाती है.

अधिकांश मामलों में अदालत भी अपराधी को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर देती है जिसके बाद आधी सजा गुजरने के बाद ही उन्हे अन्य राहत मिल पाती है.