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63 वर्षीय व्यक्ति को 102 साल जेल की सजा, पांच वर्षीय बच्ची से रेप के मामले में Kerala Court का फैसला

सांकेतिक चित्र (पिक क्रेडिट: Freepik)

अदालत ने POCSO Act के आरोपी के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि पांच वर्षीय पीड़िता से सटीक समयरेखा (टाइमलाइन) की अपेक्षा नहीं की जा सकती. 

Written By Satyam Kumar | Published : October 11, 2024 2:10 PM IST

केरल के तिरुवनंतपुरम में एक फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने 63 वर्षीय व्यक्ति को 102 वर्षों की कठोर कारावास और 1.05 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने कहा कि सजा का निर्धारण अपराध की गंभीरता के आधार पर किया गया है जिसका उद्देश्य अपराधी को कानून तोड़ने से रोकना है. बता दें कि आरोपी शख्स पर बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.

आरोपी का दावा, "पीड़िता ने सही तारीख नहीं बताई"

फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्पेशल जज रेखा आर ने आरोपी को 102 साल की कठोर जेल की सजा सुनाते हुए कहा कि इस सजा से समाज का कानून के प्रति सम्मान बढ़ेगा. अदालत के सामने उपस्थित विशेष लोक अभियोजक विजय मोहन आर.एस. ने आरोपी के खिलाफ सबूत देते हुए कहा कि नाबालिग लड़की के साथ नवंबर 2020 से फरवरी 2021 के बीच तीन बार यौन शोषण किया गया. आरोपी, बच्चे के नाना के भाई, ने विभिन्न मौकों पर पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट किए. आरोपी ने लड़की को अपने गोद में बैठाकर उसके घर पर खेलते समय यौन शोषण किया और उसे चुप रहने की धमकी दी. लोक अभियोजक ने आगे कहा कि इस बात का खुलासा तब हुआ जब लड़की की दादी ने आरोपी के साथ उसकी बातचीत सुनकर संदेह किया, तब पीड़िता ने अपनी दादी को घटनाओं के बारे में बताया. इसके बाद परिवार ने घटना की शिकायत पुलिस में कराई.

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बहस के दौरान आरोपी ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने घटना की सटीक तारीखें नहीं बताई हैं और उसे गलत तरीके से फंसाया जा रहा है. आरोपी पक्ष ने दावा किया कि ये शिकायत एक अलग व्यक्ति के नाम पर दर्ज की गई थी, जिससे यह पहचान में गलती का मामला बनता है. आरोपी ने मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट से यह नहीं पता चला कि पीड़िता का हाइमेन फटा था.

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वहीं चिकित्सक ने अदालत को बताया कि 'अगर प्रवेश हल्का है तो हाइमेन नहीं फटेगा' और हाइमेन के चारों ओर लालिमा थी. अदालत ने आरोपी के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि पांच वर्षीय पीड़िता से सटीक तारीख (टाइमलाइन) की अपेक्षा नहीं की जा सकती. 

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अदालत ने सबूतों के आधार पर शख्स को दोषी पाते हुए उसे 102 वर्षों की जेल की सजा के साथ-साथ पीड़ित को मुआवजे के रूप में धनराशि का भुगतान करने का आदेश दिया.