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पीएमएलए मामले की पुर्नविचार याचिका पर सुनवाई टली, सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा समय

पीएमएलए मामले की पुर्नविचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. आज की सुनवाई के दौरान मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नौ याचिकाओं में से केवल एक मामले की प्रति उनके पास है, बाकियों की प्रति उनके पास नहीं है.

Written By Satyam Kumar | Updated : September 18, 2024 2:33 PM IST

Supreme Court:  पीएमएलए मामले की पुर्नविचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है. आज की सुनवाई के दौरान मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नौ याचिकाओं में से केवल एक मामले की प्रति उनके पास है, बाकियों की प्रति उनके पास नहीं है. सॉलिसिटर जनरल ने सुनवाई को टालने की मांग, जिससे सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 3 अक्टूबर तक टाल दिया है. बता दें कि पीएमएलए मामले में ये पुर्नविचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए मामले में गिरफ्तारी व संपत्ति की जब्ती को बरकरार रखा था.

पीएमएलए मामले की सुनवाई अब 3 अक्टूबर को होगी

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ पीएमएलए मामले की सुनवाई करेगी. पीठ के सामने केन्द्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, तो वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल पेश हुए. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुनवाई को टालने का विरोध किया. सीनियर एडवोकेट ने कहा कि ईडी के कहने पर याचिकाओं को बार-बार स्थगित किया गया था और वह मामले में गुण-दोष के आधार पर बहस करने के लिए तैयार हैं. पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की विशेष पीठ न्यायमूर्ति रविकुमार की अनुपलब्धता के कारण नहीं बैठ पाई थी. इसके बाद, 18 सितंबर को सुनवाई के लिए समीक्षा याचिकाओं के समूह को फिर से सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया गया.

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पीएमएलए मामले में सुप्रीम कोर्ट करेगा अपने फैसले की समीक्षा

विजय मदनलाल चौधरी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने पीएमएलए की धारा 50 की वैधता को चुनौती देने से इनकार कर दिया था, जो ईडी को एक आरोपी को बुलाने और बयान दर्ज करने की शक्ति देता है, जो कानून की अदालत में स्वीकार्य सबूत है. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा दिए गए 2022 के फैसले में अपराध की आय की परिभाषा, गिरफ्तारी की शक्ति, तलाशी और जब्ती, संपत्तियों की कुर्की और दोहरी जमानत शर्तों के संबंध में पीएमएलए के कड़े प्रावधानों की पुष्टि की गई. इसके बाद, तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो मुख्य चिंताओं के लिए अपने पीएमएलए फैसले की समीक्षा करने पर सहमति व्यक्त की थी. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली एक विशेष पीठ 2022 पीएमएलए फैसले पर पुनर्विचार और इसे एक बड़ी पीठ को भेजने की मांग वाली याचिकाओं के एक अन्य समूह पर विचार कर रही है.

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हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की मांग से सहमति जताते हुए मामले को तीन अक्टूबर तक सहमति जताई है.

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