Places of Worship Act: कानूनी वैधता के खिलाफ दायर याचिका पर 5 अप्रेल को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई पर सहमत हुआ है. सोमवार को इस मामले को मेंशन करने पर सीजेआई की पीठ ने सुनवाई के लिए 5 अप्रैल की तारीख तय की है.
भाजपा नेता और याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवकता अश्विनी उपाध्याय ने सोमवार को सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ की पीठ के समक्ष मामले को मेंशन करते हुए जल्द सुनवाई का अनुरोध किया.
याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के प्रावधान को मनमाने और गैर संवैधानिक बताया गया है. याचिका में कहा गया है कि इस एक्ट के प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26 एवं 29 का उल्लंघन करता है. केंद्र सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ये कानून बनाया है.
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9 सितंबर 2022 को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर केंद्र सराकर को नोटिस जारी किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 31 अक्तूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा था. बाद में 12 दिसंबर तक जवाब देने को कहा था.
पिछली सुनवाई के दौरान 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केन्द्र सरकार से अपना पक्ष् रखने को कहा था, केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए फरवरी के अंत तक का समय दिया था.
मुस्लिम पक्षकारों का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा जवाब में देरी के चलते ज्ञानवापी और मथुरा में यथास्थिति से छेड़छाड़ की कोशिश हो रही है.