दिल्ली, मुंबई में जनहित याचिकाओं को ब्लैकमेल के साधन के रूप में इस्तेमाल किया गया
सीजेआई की पीठ ने कहा कि दिल्ली—मुंबई में (PIL) जनहित याचिकाओं को infrastructure projects को ब्लैकमेल करने के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए 1 लाख रूपये के जुर्माने के आदेश को बरकरार रखा.
ब्लैकमेल का एक साधन
याचिका को खारिज करते हुए सीजेआई ने कहा कि जब एक जनहित याचिका में किसी विशेष संपत्ति को टारगेट किया जाता है तो हाईकोर्ट को अक्सर पता होता है कि पार्टी ने अदालत का दरवाजा क्यों खटखटाया है.
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पीठ ने कहा कि "जनहित याचिकाएँ ब्लैकमेल का एक साधन बन सकती हैं जब यह एक infrastructure projects का मुद्दा उठाती हो. यह वास्तव में ऐसी परियोजनाओं को टारगेट करने के लिए एक मुद्दा बनाता है. हाईकोर्ट ने वास्तव में इस मामले में उस मुद्दे को पहचान लिया है..
संस्था का दावा था गलत
याचिकाकर्ता सारथी सेवा संघ ने मुंबई के वर्ली में एक भूखंड के पुनर्विकास को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सारथी सेवा संघ ने जनहित याचिका में अपनी संस्था के बारे में बताते हुए जानकारी दी कि यह संस्था promoting the ecology पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने का कार्य करती है.
हाईकोर्ट ने संस्था के इस दावे की सत्यता के लिए संस्था के Memorandum of Association पेश करना का आदेश दिया. संस्था की और से हाईकोर्ट में Memorandum of Association पेश करने पर हाईकोर्ट ने पाया कि संस्था के दावे के अनुसार ऐसा कोई सामग्री नही थी. साथ ही याचिकाकर्ताओं में से एक व्यक्ति का संस्था से भी कोई संबंध नही था.
न्यायालय का समय
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सारथी सेवा संघ पर अदालत का समय खराब करने के लिए 1 लाख रूपये का जुर्माना लगाया था. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को भी खारिज करने का आदेश दिया-हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश से सहमति जताते हुए कहा कि इस मामले में (PIL) जनहित याचिका का टारगेट उस योजना को नुकसान पहुंचाना था.