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सिख यात्री को हवाई जहाज में कृपाण ले जाने की अनुमति के खिलाफ दायर PIL खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में दिए इस तर्क को भी खारिज करर दिया है कि भूतकाल में भी देश में ऐसी कई घटनाए हुई है जब कृपाण को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हुए अपहरण किया गया.

Written By Nizam Kantaliya | Published : December 22, 2022 5:53 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में घरेलू उड़ानों के दौरान सिख यात्रियों को कृपाण ले जाने की अनुमति देने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को याचिका कर दिया है. एडवोकेट की ओर से दायर जनहित याचिका में कृपाण को विमान में ले जाने की अनुमति देने को आम यात्रियों के सुरक्षा मानको को खतरा बताया था.

दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में दिए इस तर्क को भी खारिज करर दिया है कि भूतकाल में भी देश में ऐसी कई घटनाए हुई है जब कृपाण को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हुए अपहरण किया गया.

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जनहित याचिका को किया खारिज

एडवोकेट हर्ष विभोर सिंघल ने दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर Ministry of civil Aviation के उस आदेश को चुनौति दी थी जिसके जरिए केन्द्र सरकार ने सिख कर्मचारियों और यात्रियों को कृपाण लेकर देश में यात्रा करने की इजाजत दी थी.

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दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीशचन्द्र शर्मा और जस्टिस सुब्रहमण्यम प्रसाद की पीठ ने जनहित याचिका फैसला सुनाते हुए खारिज करने के आदेश दिए है.

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शर्तो के साथ दी थी मंजूरी

4 मार्च, 2022 को Ministry of civil Aviation ने एक अधिसूचना जारी करते हुए सिख समुदाय के लोगों को नागरिक उड़ानों पर कृपाण ले जाने के लिए 'असाधारण नियामक मंजूरी' दी थी. गौरतलब है कि इससे पूर्व देश में सिखों के जहाजों में कृपाण रखने या ले जाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ था.

हालांकि इसके लिए कुछ शर्ते भी रखी गई है, इन शर्तों में ये कहा गया था कि कृपाण का ब्लेड 15.24 सेंटीमीटर और 6 इंच से ज्यादा लंबा नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही कृपाण की कुल लंबाई 9 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

साहस की निशानी

18 अगस्त को इस मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय Ministry of Home Affairs, Ministry of Civil Aviation (MCA), Director General of Civil Aviation (DGCA) और DG, Bureau of Civil Aviation Security को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था.

कृपाण को सिख वीरता और साहस की निशानी समझते है, जिसे अपने साथ हमेशा रखना उनके लिए शान की बात होती है। सिख कृपाण को या तो कमर में में बांधते है या फिर उसे अपने साथ पर्स या बैग में रखते है.

क्या थे याचिकाकर्ता के तर्क

जनहित याचिका में एडवोकेट हर्ष विभोर सिंघल ने सरकार की अनुमति का यह कहते हुए विरोध किया था कि एक यात्री विमान में कृपाण ले जाने की अनुमति देने से विमानों की सुरक्षा के लिए खतरनाक होगा. याचिका में कहा गया कि भूतकाल में ऐसे कई मामले हुए है जब कृपाण को विमानों को अपहरण करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है.

जनहित याचिका में 1981 और 1984 में हुए दंगो का भी उदाहरण दिया गया कि इस समय भी अपहरण के लिए इसी तरह के हथियारों का अंजाम दिया गया था और उग्रवादियों ने सरकार द्वारा गिरफ्तार कैदियों की रिहाई के लिए मांग की थी.