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टूटे रिश्तों से हुए भावनात्मक घाटे की भरपाई और खुशहाल जीवन के लिए जरूरी हैं Pets: Mumbai Court

Mumbai Court Observes Pets Necessary for Healthy Life

हाल ही में, मुंबई के एक कोर्ट ने एक डिवोर्स सेटलमेंट हेतु सुनवाई के दौरान यह कहा है कि टूटे रिश्तों से हुए भावनात्मक घाटे की भरपाई और एक खुशहाल जीवन के लिए पालतू जानवर रखना जरूरी है.

Written By Ananya Srivastava | Published : July 11, 2023 1:00 PM IST

नई दिल्ली: मुंबई की एक अदालत ने हाल ही में तलाक के बाद पति द्वारा पत्नी को मेंटेनेंस देने से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान यह माना है कि एक सभी जीवनशैली, के साथ-साथ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी पालतू जानवर जरूरी होते हैं।

बता दें कि मुंबई के एक मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने यह अवलोकन 55-वर्षीय एक याचिकाकर्ता की याचिका की सुनवाई के दौरान किया जिन्होंने घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) के अंतर्गत एक याचिका दर्ज की थी।

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मुंबई की अदालत ने पालतू जानवरों की अहमियत पर कही ये बात

मुंबई के मैजिस्ट्रेट कोर्ट का यह कहना है कि डिवोर्स के बाद सेटलमेंट के मामले में पति मेंटेनेंस की राशि को कम करने के लिए यह कारण नहीं दे सकते हैं कि उनकी पत्नी अपने कुत्तों को पालने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगी।

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अदालत का ऐसा मानना है कि आज के समय में बेशक एक सभ्य जीवनशैली के लिए घर में पालतू जानवरों का होना अच्छा माना जाता है और यह गलत नहीं है। मैजिस्ट्रेट कोर्ट का ऐसा कहना है कि जीवनशैली के साथ टूटे रिश्तों से हुए भावनात्मक घाटे की भरपाई करने और एक खुशहाल जीवन बिताने के लिए जरूरी है कि लोग पालतू जानवरों का सहारा लें। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है।

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जानें क्या था पूरा मामला

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि याचिकाकर्ता ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अपने पति के खिलाफ एक याचिका दायर की और उनसे हर महीने के लिए मेंटेनेंस की मांग की; इसका कारण याचिकाकर्ता ने अपनी बढ़ती उम्र, स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें और अपने तीन पालतू कुत्तों की देखभाल बताया था।

याचिकाकर्ता ने यह भी बताया था कि उनके पति एक सफल व्यवसाय चला रहे हैं और उनके कई सोर्स ऑफ इनकम भी हैं और इसलिए उन्हें 70 हजार रुपये प्रति माह की अंतरिम मेंटेनेंस देनी चाहिए।

प्रतिवादी ने घरेलू हिंसा के आरोपों का खंडन करते हुए यह कहा है कि उन्हें बिजनेस में काफी नुकसान हुए हैं जिसकी वजह से वो अपनी पत्नी को कोई मेंटेनेंस नहीं दे पाएंगे। इसपर मैजिस्ट्रेट ने यह कहा है कि क्योंकि प्रतिवादी अपने बिजनेस में हुए नुकसान का कोई प्रूफ नहीं दे पाए हैं, उन्हें अपनी पत्नी को मेंटेनेंस देनी होगी।

प्रतिवादी ने विरोध करते हुए यह भी कहा कि उनकी पत्नी को अपने पालतू जानवरों की देखरेख के लिए मेंटेनेंस नहीं मिलनी चाहिए। इस बात को कोई अहमियत न देते हुए कोर्ट ने कहा है कि मेंटेनेंस की राशि को कम करने के लिए ये कोई कारण नहीं है, इसे नहीं माना जाएगा।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोमलसिंह राजपूत ने 20 जून को अंतरिम याचिका को आंशिक रूप से अनुमति देते हुए प्रतिवादी को निर्देश दिया है कि वो याचिका दायर होने की तारीख से उस दिन तक, जब तक याचिकाकर्ता की प्रमुख याचिका में फैसला नहीं सुनाया जाता, याचिकाकर्ता को 50 हजार रुपये अंतरिम मेंटेनेंस देंगे।