मई से पेंडिंग, फिर एक दिन में कैसे हुई बिजली की तेजी से फाइल क्लियर और नियुक्ति
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर गुरुवार को कई अहम टिप्पणियां की हैं. बुधवार के आदेश की पालना में केन्द्र सरकार ने आज चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति से जुड़ी ओरिजिनल फाइल को कोर्ट में पेश किया.
लंबी बहस के बाद जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता में सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. संविधान पीठ में जस्टिस जोसेफ के साथ जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल रहें.
एक ही दिन में नियुक्ति
मामले की शुरुआत केन्द्र सरकार द्वारा फाइल पेश किए जाने के साथ हुई. फाइल देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन में हुई इस नियुक्ति को लेकर अटार्नी जनरल से कई सवाल किए. कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्त के अपॉइंटमेंट की फाइल बिजली की तेजी से क्लियर की गई। यह कैसा मूल्यांकन है। हमारा सवाल CEC की योग्यता पर नहीं है। हम अपॉइंटमेंट प्रोसेस पर सवाल उठा रहे हैं.
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संविधान पीठ ने कहा कि चुनाव आयुक्त के लिए आए उम्मीदवारों का मूल्यांकन और गोयल का चयन केवल मात्र 24 घंटे के भीतर किया गया हैं. पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस जोसेफ ने सवाल किया कि हमें बताएं ये 4 नाम कानून मंत्री ने क्यों चुने? इन चारों में भी ऐसा कोई नहीं जो चुनाव आयुक्त के तौर पर 6 साल का कार्यकाल पूरा सकेगा.
प्रक्रिया को लेकर सवाल
फाइल को देखते हुए पीठ ने कहा कि अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल 18 नवंबर को ट्रांसफर की गयी थी, फिर सभी नामों की जांच हुई और उसके बाद पीएम आते है. पीठ ने एजी से पूछा कि इतनी जल्दी करने का क्या कारण था. पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि क्या निर्धारित प्रक्रिया का सही तरीके से पालन किया गया या नहीं.
पीठ में शामिल जस्टिस अजय रस्तोगी ने चुनाव आयुक्त के लिए वैकेंसी 15 मई से रिक्त होने की जानकारी देते हुए एजी से पूछा कि क्या आप दिखा सकते हैं कि 15 मई से 18 नवंबर के बीच आपने क्या किया. सरकार को क्या हो गया था जो उसने सुपरफास्ट नियुक्ति एक ही दिन में कर दी? एक ही दिन में आवेदन, प्रोसेस, क्लियरेंस और नियुक्ति भी दी गयी और फाइल पूरे 24 घंटे भी नहीं घूम सकी.
क्या कहा अटॉर्नी जनरल ने
अटार्नी जनरल ने पीठ के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि सभी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति बहुत तेज गति से होती है जिसमें 3 दिन से ज्यादा का समय नहीं लगता. एजी ने कहा कि इस मामले में उनकी सलाह के कारण ही तेजी से नियुक्ति हुई. एजी ने कहा कि "कोई कह सकता है कि वह विनम्र है, कोई कहेगा कि वह नहीं है, अदालत किस पर विचार करेगी।"
अटार्नी जनरल ने कहा कि वे सिर्फ यह इतना स्पष्ट करना चाहते है कि सभी नाम पर उचित प्रक्रियाओं के साथ विचार किया गया था. तेजी से कार्रवाई पर उन्होने कहा कि सार्वजनिक कार्यालयों में 12 या 24 घंटों में कितनी नियुक्तियां होती हैं? क्या हम ऐसे सभी मामलों में शामिल हो सकते हैं"
पीठ ने रखा फैसला सुरक्षित
लंबी बहस के बाद संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.संविधान पीठ ने इस मामले में अब तक चार दिन सुनवाई की है. सभी पक्षकारों को लिखित दलील देने के लिए अभी पांच दिनों की मोहलत दी हैंं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयुक्त के पद पर अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर दायर सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण एक याचिका पर सुनवाई कर रहा हैं. इस याचिका में दिए बिंदुओं के अनुसार सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग की मजबूती से जुड़े बिंदुओं पर सुनवाई कर रहा है.
कोर्ट ईसीआई को सुप्रीम कोर्ट, लोकसभा और राज्यसभा जैसे नियम बनाने की शक्ति देने पर विचार कर रहा हैं. तीनों आयुक्तों को समान अधिकार, सीईसी और ईसी को समान संरक्षण, पीएम, सीजेआई और विपक्ष के नेता कॉलेजियम द्वारा नियुक्ति और आयुक्तों को हटाने के नियम तय करने पर सुनवाई कर रहा है.