टेररफंडिंग में शामिल अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को पटियाला कोर्ट ने रिहा करने का दिया आदेश, कहा- उसकी हिरासत अवधि तय सजा से अधिक हो गई है
पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को टेररफंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को रिहा करने का आदेश दियाहै. अदालत ने पाया कि शाह 26 जुलाई, 2017 से लगातार हिरासत में है और यह देखते हुए कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 3 के तहत अपराध के लिए अधिकतम सजा सात साल है, उसकी हिरासत अवधि इस अवधि से अधिक है. इसलिए अदालत ने कश्मीरी अलगाववादी नेता को रिहा करने का आदेश दिया है. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रिहा होने के बावजूद, शब्बीर अहमद शाह के राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIa) द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे के चलते न्यायिक हिरासत में ही रहने की संभावना है.
हिरासत अवधि तय सजा से अधिक हो चुकी है, अदालत ने अलगाववादी नेता को रिहा करने का दिया आदेश
पटियाला कोर्ट में एडिशनल सेशन जज धीरज मोर ने 24 अगस्त को पारित आदेश में कहा कि आरोपी शब्बीर अहमद शाह पर पीएमएलए की धारा 3 के तहत मुकदमा चल रहा है, जो उक्त अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा 7 वर्ष है. वह इस मामले में 26 जुलाई, 2017 से लगातार हिरासत में है और तब से 7 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है. इसलिए, उसकी ओर से प्रस्तुत किए गए तर्क सही हैं. तदनुसार, धारा 436ए सीआरपीसी के प्रावधान के मद्देनजर, वह इस मामले में रिहा होने का हकदार है.
अदालत ने कहा कि अगर किसी अन्य मामले में इसकी आवश्यकता नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए. आदेश के बाद, शब्बीर शाह के वकील प्रशांत प्रकाश और कौसर खान ने कहा कि आरोपी को अधिकतम अनुमेय सजा काटने के कारण हिरासत से रिहा किया गया था, जो न्यायिक प्रक्रिया में एक गंभीर मुद्दा है. रिहाई के बावजूद, सह-आरोपियों के खिलाफ आरोप भी तय नहीं किए गए हैं और इन आरोपों पर बहस 2021 से लंबित है.
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पूरा मामला क्या है?
ANI की रिपोर्ट के मुताबिक,शब्बीर अहमद शाह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1267 के तहत प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख, एक वैश्विक आतंकवादी हाफ़िज़ सईद के नियमित संपर्क में था. शफी शायर पाकिस्तान में रहता है, जिसका पाकिस्तानी फोन नंबर उसने मोहम्मद असलम वानी को दिल्ली में अपराध के पैसे इकट्ठा करने के लिए दिया था. शब्बीर शाह जो न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद था, ने पहले अपने बचाव में कहा था कि शब्बीर शाह और असलम वानी के बीच किसी भी तरह का कोई संबंध होने का कोई सबूत नहीं है. वह एक सम्मानित व्यक्ति और एक जाने-माने राजनीतिक नेता हैं. वह डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष हैं और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रेरित और झूठ पर आधारित हैं.