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पलानीस्वामी ही संभालेंगे AIADMK, Supreme Court ने Madras High Court के आदेश को रखा बरकरार

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अन्नाद्रमुक (AIADMK) पर वर्चस्व की ये लड़ाई अम्मा यानी जयललित की मौत के बाद शुरू हुई. जयललिता के सबसे करीबी सहायक रहे ओ. पन्नीरसेल्वम और शशिकला के कभी वफादार रहे ई. पलानीस्वामी AIADMK के अंतरिम महासचिव के रूप कार्य करने के लिए कोर्ट पहुंचे थे.

Written By Nizam Kantaliya | Published : February 23, 2023 9:10 AM IST

नई दिल्ली: AIADMK के अंतरिम महासचिव के रूप में कार्य जारी रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से पन्नीरसेल्वम को बड़ा झटका लगा है.सुप्रीम कोर्ट ने पलानीस्वामी को AIADMK के अंतरिम महासचिव के रूप में कार्य जारी रखने की अनुमति देते हुए मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने सभी पक्षो की सुनवाई के बाद 12 जनवरी को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था.गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए ओ पनीरसेल्वम की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया.

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गौरतलब है कि दक्षिण के बड़े राजनैतिक दलों में शामिल AIADMK पार्टी की जनरल काउंसिल ने 11 जुलाई 2022 को पलानीस्वामी को अपना नेता चुना था. इस चुनाव के साथ काउंसिल उनके प्रतिद्वंद्वी ओ पन्नीरसेल्वम और उनके कुछ सहयोगियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था.

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मामले में ओ पन्नीरसेल्वम और उनके साथियों ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी. मद्रास हाईकोर्ट पार्टी के संविधान के अनुसार चुनाव मानते हुए पलानीस्वामी को AIADMK का अंतरिम महासचिव माना. मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट होकर पनीरसेल्वम गुट ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की.

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पार्टी के समक्ष प्रस्ताव

पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि हमने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के दो सितंबर 2022 के आदेश को बरकरार रखा है और अपने पहले के अंतरिम आदेश को स्थायी कर दिया है।’’

इसके साथ ही पीठ ने पार्टी के समक्ष प्रस्तावों के मामलों पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया. पीठ ने कहा कि इस मामले में एकलपीठ सुनवाई कर रही है इसलिए प्रस्तावों को कानून के अनुसार निपटाए जाने के लिए छोड़ रहें है.

जयललिता की मौत के बाद वर्चस्व की लड़ाई

गौरतल है कि अन्नाद्रमुक (AIADMK) पर वर्चस्व की ये लड़ाई अम्मा यानी जयललिता की मौत के बाद शुरू हुई. जयललिता के सबसे करीबी सहायक रहे ओ. पन्नीरसेल्वम (O Panneerselvam) को तत्कालीन अन्नाद्रमुक (AIADMK) सुप्रीमो और दिवगंत मुख्यमंत्री जे जयललिता (J Jayalalithaa) ने कानूनी बाधाओं का सामना करने पर दो बार प्रदेश और राज्य सरकार की जिम्मेदारी सौंपी थी.

वर्ष 2016 में जयललिता की मौत के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण के दौरान आंसू पोंछते हुए ओपीएस (OPS) की तस्वीरों ने काफी सुर्खिया बटोरी थी. ओ. पन्नीरसेल्वम ने अपनी स्थिती को मजबूत करने के लिए चिन्नम्मा’ यानी शशिकला के प्रति पूरा समपर्ण दिखाया.

बाद में शशिकला ने खुद बागडोर संभालने का फैसला करते हुए ओपीएस को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए खुद को अन्नाद्रमुक विधायक दल के नेता के रूप में नामित कर दिया. कुछ दिन तक चले राजनैतिक घटनाक्रम के बाद जब शशिकला तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने की तैयारी कर रही थीं, तब सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में उन्हें चार साल की जेल की सजा सुनाई और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर पानी फिर गया.

दोषी ठहराए जाने के बाद उन्होंने छह साल तक चुनाव लड़ने का अधिकार भी खो दिया और उनके लिए किसी भी निर्वाचित सरकारी पद पर रहना असंभव हो गया. शशिकला ने ऐसे वक्त में ई. पलानीस्वामी (Edapaddi Palaniswamy) पर विश्वास जताया.

मुख्यमंत्री बनने के बाद ई. पलानीस्वामी ने सबसे पहले सरकारी तंत्र और बाद में पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दिया. विधानसभा चुनावों और उसके बाद स्थानीय निकाय चुनावों में अन्नाद्रमुक (AIADMK) की हार के बाद ई. पलानीस्वामी पार्टी ने पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जनरल काउंसिल की बैठक में कई प्रस्तावों को बदल दिया.