Outraging Modesty case: असम यूथ कांग्रेस नेता श्रीनिवास को मिली Supreme Court से राहत
नई दिल्ली: भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी को अपनी ही पार्टी की सदस्य और असम यूथ कांग्रेस की पदाधिकारी द्वारा कथित रूप से अपमान करने के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है.
सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवास को 50 हजार के मुचलके पर अंतरिम जमानत देते हुए असम सरकार को भी नोटिस जारी किया है. श्रीनिवास ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि Gauhati High Court ने 5 मई को श्रीनिवास बीवी को अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज करने के साथ ही उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द करने से इंकार कर दिया था.
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जस्टिस अजीत बोरठाकुर ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा कहे गए शब्द प्रथम दृष्टया उन अपराधों का गठन करते हैं जो स्पष्ट रूप से आईपीसी की धारा 352, 354 और 354A (1) के प्रावधानों के तहत दर्शाये गए है.
राजनैतिक प्रतिशोध का जरिया
कांग्रेस नेता और याचिकाकर्ता श्रीनिवास बीवी ने याचिका दायर कर एफआईआर को केवल राजनीतिक प्रतिशोध के चलते दर्ज करना बताया है.
याचिका के जरिए कांग्रेस नेता ने शिकायतकर्ता महिला की शिकायत पर दिसपुर पुलिस द्वारा जारी किए गए नोटिसों पर रोक लगाने की गयी है, जिसके जरिए शिकायत की जांच कर रहे अधिकारियों के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया है.
याचिका में कांग्रेस नेता की ओर से कहा गया कि शिकायतकर्ता ने व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थों को पूर्ण करने के लिए उन पर यह आरोप लगाया है.
हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता की इस दलील को खारिज कर दिया था कि पीड़ित की शिकायत व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थों को पूर्ण करने के लिए दायर की गयी है.
अपराधों की प्रकृति खिलाफ
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा केस डायरी में ऐसा कोई संकेत नहीं है कि एफआईआर राजनीति से प्रेरित है और झूठी और मनगढ़ंत कहानी पर आधारित है.
पीठ ने कहा कि एफआईआर में प्रकट किए गए अपराधों की प्रकृति समाज के खिलाफ अपराध है जो मूल रूप से महिला के शील भंग से संबंधित है, इसलिए, जांच के वर्तमान चरण में अदालत आरोपों की सत्यता या सत्यता की जांच नहीं कर सकती.
मामले में देरी से एफआईआर दर्ज करने और कांग्रेस नेता द्वारा मानहानि का मामला दर्ज कराए जाने के बिंदू पर पीठ ने कहा था कि यह राजनैतिक दल का आंतरिक मामला है और जांच का विषय नहीं है.