OROP Arrears Issue: सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से कहा, 'कानून अपने हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं'
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों के योग्य पेंशनभोगियों को किस्तों में वन रैंक-वन पेंशन (OROP) के बकाए के भुगतान के संबंध में 20 जनवरी को दिए गए पत्र को लेकर रक्षा मंत्रालय को फटकार लगाई.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन को बताया, "यहां, आप युद्ध नहीं लड़ रहे हैं. यहां, आप कानून के शासन के तहत लड़ाई लड़ रहे हैं, बेहतर होगा कि आप अपने घर को व्यवस्थित करें."
रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने वाले वेंकटरमण ने कहा, "आठ लाख पेंशनरों, 2,500 करोड़ रुपये की एक किश्त पहले ही जमा की जा चुकी है और हमने वचन दिया है कि परिवार के लिए यह 31 मार्च से पहले होगा. शेष राशि, हम भुगतान कर रहे हैं. हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम भुगतान नहीं कर रहे हैं."
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शीर्ष अदालत ने मंत्रालय में सचिव द्वारा जारी पत्र पर आपत्ति जताई और उन्हें इस मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखें: CJI
CJI ने फटकार लगाते हुए कहा कि "आप सचिव से कहें कि 20 जनवरी को पत्र जारी करने के लिए हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. आप या तो इसको वापस लें या फिर हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना नोटिस जारी करने जा रहे हैं. कानून को अपने हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है. हमें न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखनी होगी.
वेंकटरमन ने पीठ से आग्रह किया कि "अदालत के आदेश के अनुसार अभ्यास करने के लिए मंत्रालय को कुछ समय दिया जाए. मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने प्रस्तुत किया कि अदालत ने तीन महीने के भीतर कार्यान्वयन का निर्देश दिया है, यानी उन्हें 15 जून, 2022 तक लागू करना है और इस राशि का भुगतान नवंबर 2019 तक किया जाना था और उन्हें पहले ही एक्सटेंशन मिल गया था और सभी बकाया राशि को 2019 तक चुकाना था.
अगली सुनवाई होली की छुट्टी के बाद
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक तमाम दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई होली की छुट्टी के बाद निर्धारित की. पिछले साल मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फार्मूले के खिलाफ अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन के माध्यम से भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन (आईईएसएम) द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी को केंद्र को सशस्त्र बलों के सभी पात्र पेंशनरों को ओआरओपी के कुल बकाया के भुगतान के लिए 15 मार्च तक का समय दिया था. बाद में, सरकार ने सशस्त्र बलों के सभी पात्र पेंशनभोगियों को ओआरओपी योजना के बकाए के भुगतान के लिए 15 मार्च तक के समय को बढ़ाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.