संगठित साइबर अपराध: कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से किया इनकार, कहा 'अग्रिम जमानत केवल विशेष मामलों में दी जाती है'
नयी दिल्ली: संगठित साइबर अपराध में शामिल एक आरोपी को दिल्ली की एक अदालत ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने यह आदेश देते हुए कहा कि अग्रिम जमानत केवल विशेष मामलों में ही दी जानी चाहिए। न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, अवकाशकालीन न्यायाधीश अपर्णा स्वामी ने शिवम कुमार द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए उसे जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।
12 जून को पारित आदेश में न्यायाधीश ने कहा, अग्रिम जमानत केवल विशेष मामलों में ही दी जाती है। मुझे अग्रिम जमानत देने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं लगता है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने स्पष्ट कहा कि इस मामले में लगभग 600 पीड़ित शामिल हैं, जिनसे 4.47 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी, तथा सात राज्यों की साइबर पुलिस ने आरोपी की कंपनी के बैंक खाते पर रोक लगाने के लिए नोटिस जारी किया था।
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न्यायाधीश ने कहा, यह एक आर्थिक अपराध है, जमानत के मामले में इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए... मामले में विस्तृत जांच की आवश्यकता है, जो आवेदक/आरोपी से निरंतर पूछताछ पर निर्भर है।’’
आरोपी ने अग्रिम जमानत का अनुरोध करते हुए दावा किया कि वह कंपनी में केवल एक निदेशक रहा है और इस अपराध में उसकी कोई भूमिका नहीं है, तथा उसे मामले में झूठा फंसाया गया है।
अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि पीड़ितों से ठगी गई 14 लाख रुपये की राशि अभी तक बरामद नहीं हुई है और साजिश का पता लगाने के लिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ किये जाने की जरूरत है।
गौरतलब है की अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपी नोटिस के बावजूद जांच में शामिल नहीं हुआ और उसने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया।
यहां बता दे कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 420 (धोखाधड़ी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के साथ अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।