सिर्फ न्यायपालिका ही कर सकती है संवैधानिक मूल्यों की रक्षा -जस्टिस आर एम छाया
नई दिल्ली: गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरएम छाया का आज जन्मदिन है. 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर आज वे गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद से सेवानिवृत हो गए है.
मूल गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस आर एम छाया को 23 जून 2022 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. 6 माह और 19 दिन के कार्यकाल के बाद वे आज सेवानिवृत हो गए है.
गुवाहाटी हाईकोर्ट से सेवानिवृत होने से पूर्व अंतिम कार्यदिवस पर बुधवार को मुख्य न्यायाधीश कोर्ट में उनके सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया. समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस आर एम छाया ने कई अहम बयान दिए है.
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मजबूत न्यायपालिका
जस्टिस छाया ने अपने संबोधन में कहा कि "हमारा संविधान एक स्वतंत्र न्यायपालिका के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है ताकि न्यायाधीश कानून को छोड़कर हर हस्तक्षेप से मुक्त रह सकें"
जस्टिस छाया ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि केवल एक 'मजबूत न्यायपालिका' ही संवैधानिक मूल्यों की रक्षा कर सकती है और भारत को हर नागरिक के रहने के लिए 'सर्वश्रेष्ठ स्थान' बनाती है.
संवैधानिम नैतिकता की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल देते हुए जस्टिस छाया ने कहा कि "संवैधानिक नैतिकता के मानक ही हैं जो समाज को सभ्य बनाते हैं. एक अधिक सभ्य राष्ट्र होने के लिए, न्यायपालिका को मजबूत करना हमारा संवैधानिक दायित्व है. क्योंकि आज भी लाखों भारतीयों के दिल में न्यायपालिका के प्रति गहरा विश्वास है, केवल न्यायपालिका ही न्याय की वाहक होने के नाते हमारे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा कर सकती है.
अपने विदाई समारोह के संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने बार और बेंच के बीच रिश्तों को लेकर कहा कि कानूनी व्यवस्था केवल बार और बेंच और समर्पित कर्मचारियों के सहयोग से ही काम कर सकती है.
उन्होने कहा कि यह केवल न्यायाधीशों के लिए ही नहीं बल्कि वकीलों के लिए भी है, जो उच्च स्तर का न्याय प्रदान करने में दूसरे सबसे अहम स्तंभ है. उन्होने कहा कि सत्यनिष्ठा, करुणा, धैर्य, ईमानदारी, समझ, विनम्रता, शिष्टता जैसे गुण अधिवक्ता और जजों के व्यक्तित्व से अलग नहीं किये जा सकते.
तकनीकी रूप से विकसित हो युवा
अपने विदाई समारोह में युवा अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए जस्टिस आर एम छाया ने कहा कि सफलता के लिए केवल और केवल कड़ी मेहनत जरूरी है, उन्होने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि युवा अधिवक्ताओं को तकनीकी रूप से विकसित होना होगा.
इसके साथ ही जस्टिस छाया ने युवा अधिवक्ताओं से अनुरोध किया कि अगर वे अपने जीवन में कुछ सीखना चाहते है तो उन्हे अपने वरिष्ठों का सम्मान करना होगा.
जस्टिस छाया ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं से भी अनुरोध किया कि वरिष्ठों को न केवल जूनियर्स को अच्छी तरह से भुगतान करना चाहिए बल्कि उनके साथ एक परिवार के सदस्य की तरह व्यवहार करना चाहिए और उन्हें इस पेशे में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
गुजरात के जूनागढ के वेरावल में 12 जनवरी 1961 को जन्मे जस्टिस आर एम छाया ने वडोदरा की MS विश्वविद्यालय से बी कॉम करने के बाद लॉ में प्रवेश किया. Sir LA Shah College से 1984 में लॉ की डीग्री की हासिल करने के साथ ही गुजरात बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए.
बादद की.
जस्टिस छाया को 17 फरवरी 2011 को गुजरात हाईकोर्ट में एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया और करी दो वर्ष बाद 28 जनवरी 2013 को वे स्थायी जज बनाए गए.
गुजरात हाईकोर्ट के जज के रूप में 13 वर्ष सेवा देने के बाद उन्हे 23 जून 2023 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.