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देश में एक साथ चुनाव होने को लेकर Law Commission अगले हफ्ते देगी रिपोर्ट, संविधान संशोधन से करने के दिए केन्द्र को सुझाव

देश भर में एक साथ चुनाव लेकर विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लोकसभा और राज्यों की विधानसभा चुनाव कराने में एकरूपता लाने को लेकर संविधान में संशोधन करने की बात कहीं है.

Written By My Lord Team | Published : March 6, 2024 11:06 AM IST

One Nation-One Election: देश भर में एक साथ चुनाव होने को लेकर विधि आयोग (Law Commission) अपनी रिपोर्ट देगी. रिपोर्ट में लोकसभा और राज्यों की विधानसभा चुनाव कराने में एकरूपता लाने को लेकर संविधान में संशोधन (Constitution Amendments) करने की बात कही गई है. विधि आयोग की रिपोर्ट में वन नेशन-वन इलेक्शन’ शीर्षक से संविधान में एक नया भाग जोड़ने का भी जिक्र है. बता दें कि रिटायर्ड जज रितू राज अवस्थी (Retd. Justice Ritu Raj Awasthi) की अगुवाई में आयोग का गठन किया गया है, जिसे देश भर में एक साथ चुनाव कराने से जुड़ी चुनौतियों की जांच करने को कहा गया था.

संविधान में संशोधन करने की मांग

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा. देश भर में एक साथ चुनाव कराना संविधान में संशोधन करने के बाद ही संभव हैं. संविधान में एक नया भाग जोड़ने की बात कही गयी हैं. वहीं, वन नेशन-वन इलेक्शन भाग में अध्यायों की चर्चा भी है. कयास है कि इन चैप्टर के नाम है: देश भर में एकसाथ चुनाव, वन इलेक्शन को बरकरार रखने के उपाय और कॉमन इलेक्टोरल रॉल आदि शीर्षक शामिल होंगे. 

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2029 में होगें देश भर में एक साथ चुनाव

आयोग सभी राज्यों की विधानसभा और लोकसभा के कार्यकाल को तीन चरणों में एक साथ करेगी. इन सुझावों को लागू होने पर देश भर में एक साथ चुनाव होना संभव है. इस तरह का पहला चुनाव मई-जून, 2029 में   देखने को मिल सकता हैं. 

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सरकार गिरने पर कैसे बरकरार रहेगी व्यवस्था?

विधि आयोग ने लोकसभा और विधान सभाओं के कार्यकाल में एकरूपता लाने, अविश्वास प्रस्ताव होने, बीच कार्यकाल में ही सरकार गिर जाने पर, मध्यावधि में चुनाव की स्थिति उत्पन्न होने से बचाव के लिए संविधान में संशोधन करने की बात है. इन प्रक्रियाओं को व्यवहार में लाने के लिए संविधान में कम-से-कम पांच संशोधन करने के सुझाव दिये गये हैं.

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1967 तक होते थे देश भर में एक साथ चुनाव

आपको हैरानी होगी, ये जानकर कि आजादी के बाद कुछ समय तक देश भर में एक साथ चुनाव होते थे. साल 1967 के बाद धीरे-धीरे बदलाव आते गए. राज्य की सरकारें गिरने, आपातकाल आदि के बाद से चुनावों की एकरूपता में पूर्णत: बदलाव आ गए थे जिसमें फिर से एकरूपता लाने की चर्चा तेज हैं.