Advertisement

यूपी निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण रद्द, हाईकोर्ट के फैसले को चुनौति देगी सरकार!

सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकाय चुनावों में ओबीसी के आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट का फॉर्मूला तय किया हुआ है. निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाना आवश्यक है.

Written By Nizam Kantaliya | Published : December 27, 2022 11:25 AM IST

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश  सरकार को बड़ा झटका देते हुए निकाय चुनाव में किए गए ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर सरकार ने 5 दिसंबर को ही ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया था.

हाईकोर्ट कोर्ट ने निकाय चुनावों को लेकर 5 दिसंबर को जारी की गयी ओबीसी आरक्षण सूची को रद्द कर दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने का आदेश दिया है.

Advertisement

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली 93 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिया है.

Also Read

More News

ट्रिपल टेस्‍ट बिना आरक्षण नहीं

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्‍ट ना हो, तब तक आरक्षण नहीं माना जाएगा. हाईकोर्ट ने 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को भी नकार दिया है.

Advertisement

गौरतलब है कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकाय चुनाव की सीटों की आरक्षण सूची जारी कर दी थी. इसके खिलाफ हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई.  इन याचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण जारी करने के लिए ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला नहीं अपनाया था. इस फॉर्मूले को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाया गया था.

फैसले का प्रभाव

हाईकोर्ट ने अपने 70 पेज के फैसले में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए यूपी सरकार एक कमीशन बनाए. अगर सरकार और निर्वाचन आयोग चाहे तो बगैर ओबीसी आरक्षण तुरंत ही चुनाव करा सकती है.

यूपी के 760 नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर 2022 से 19 जनवरी 2023 के बीच समाप्त हो रहा है. जिनका कार्यकाल 31 जनवरी 2023 को पूर्ण रूप से समाप्त हो रहा है. हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार अगर ट्रिपल टेस्ट किए बिना ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता और ट्रिपल टेस्ट में काफी वक्त लगता हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को निकाय चुनाव के लिए तत्काल अधिसूचना जारी करने के भी आदेश दिए गए है.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद अगर उत्तर प्रदेश सरकार चुनाव कराती है तो ओबीसी सीटों को जनरल ही माना जाएगा. वहीं एससी और एसटी सीटों के लिए सीटें पहले जैसी ही रहेगी यानि इसमें कोई फेरबदल नहीं होगा.

क्या है आरक्षण का ट्रिपल टेस्ट

सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकाय चुनावों में ओबीसी के आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट का फॉर्मूला तय किया हुआ है. निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण निर्धारित करने से पहले एक आयोग का गठन किया जाना आवश्यक है. यह आयोग नगरीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रगति का आकलन करने के बाद पेड़ों के लिए सीटों के आरक्षण को प्रस्तावित करने का कार्य करेगा.

पहला चरण की प्रक्रिया के बाद आयोग जितनी सीटों का आरक्षण प्रस्तावित करता है उसके अनुसार स्थानीय निकायों द्वारा ओबीसी की संख्या का परीक्षण किया जाता है. अंत में तीसरे चरण में सरकार के स्तर पर आरक्षण का सत्यापन कराया जाने के बाद ही निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण तय किया जा सकता है.

वर्तमान निकाय चुनावों के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ट्रिपल टेस्ट नहीं किया गया.इसी के चलते इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द किया.

सरकार करेगी अपील!

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है. राज्य सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के संकेत दिए है. सुप्रीम कोर्ट में अपील से पहले उत्तर प्रदेश सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के विस्तृत फैसले का इंतजार कर रही है, जिसे विधि विशेषज्ञों द्वारा राय लेने के बाद सरकार अपना निर्णय ले सकती है.