दिल्ली हाईकोर्ट ने employment of transgenders मामले में Grace Banu को इंटरवीन बनने की अनुमति दी
नई दिल्ली: Delhi High Court ने सार्वजनिक उपक्रमों में ट्रांसजेंडरों को रोजगार प्रदान करने की मांग को लेकर दायर याचिका में एक सामाजिक कार्यकर्ता को इंटरवीन बनने की अनुमति दी है. Justice Prathiba M Singh ने ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए कार्य करने वाली activist Grace Banu की ओर से दायर Intervention Application पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिया है.
दिल्ली निवासी ट्रांसजेंडर व्यक्ति जेन कौशिक ने दिल्ली सरकार में रोजगार को लेकर Delhi High Court में याचिका दायर की थी, activist Grace Banu ने इसी याचिका में इंटरवीन बनने के लिए हाईकोर्ट इसी मामले में Intervention Application दायर की थी.
पीठ ने याचिका में हस्तेक्षप करने के लिए शामिल करने अनुमति देने के साथ मामले में किसी भी तरह के आरोप नही लगाने की शर्त रखी है.
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अदालत से Activist का अनुरोध
Grace Banu की ओर से दायर किए गए हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र Intervention Application में कहा गया कि वह इस मामले में अदालत का सहयोग करना चाहती है.
वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी के जरिए दायर किए गए प्रार्थना पत्र में कहा गया कि चूकि वह लगातार ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए कार्य कर रही है और किस तरह से इस वर्ग को सरकारी उपक्रमों में शामिल किया जा सकता है इस मामले में वह बेहतर सुझाव रखती है, इसलिए उसे इस मामले में शामिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
Employment of transgenders को लेकर दायर इस याचिका में केन्द्र सरकार को जवाब पेश करना था, लेकिन सरकार को याचिका की प्रति 24 मार्च को ही प्राप्त होने के चलते जवाब नही दिया जा सका.
जिसके बाद अदालत ने केन्द्र सरकार सहित सभी पक्षों को इस मामले में हलफनामे के जरिए अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
6 सप्ताह में जवाब पेश करें
केन्द्र सरकार की ओर से इस मामले में याचिका के साथ सभी दस्तावेजो और पेपर बुक प्रदान किए जाने का अनुरोध करते हुए जवाब पेश करने के लिए समय देने की मांग की.
बहस सुनने के बाद अदातल ने सभी प्रतिवादी पक्षकारों को 6 सप्ताह में हलफनामें के जरिए जवाब पेश करने के आदेश दिए, मामले में अब अगली सुनवाई 4 अगस्त को तय की गई है.
इसके साथ ही अदातल ने सामाजिक कार्यकर्ता Grace Banu को भी इंटरवीन बनने की अनुमति दी.
ये है मामला
दिल्ली निवासी ट्रांसजेंडर व्यक्ति जेन कौशिक ने बीए (सामान्य), एमए (राजनीति विज्ञान), बीएड में डिग्री और नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) जिसे अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ईसीसीई) के नाम से भी जाना जाता है, में दो साल के डिप्लोमा के साथ योग्य व्यक्ति होने के नाते दिल्ली सरकार के स्कूलों में रोजगार के लिए आवेदन किया था.
दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा जारी किए गए विज्ञापन के अनुसार कौशिक आवेदन नही कर सकते थे, क्योंकि ऑनलाइन आवेदन पंजीकरण प्रणाली में पहचान के विकल्प के रूप में 'ट्रांसजेंडर' वर्ग का आप्शन ही शामिल नही था.
'ट्रांसजेंडर' वर्ग का आप्शन शामिल नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए जैन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया.
नीति विकसित करने का अनुरोध
कौशिक ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका में अदालत से अनुरोध किया कि वह इस मामले में दिल्ली सरकार द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों में सभी पदों के लिए ट्रांसजेंडर लोगों की भर्ती के लिए एक नीति विकसित करने के निर्देश जारी करे.
याचिका में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) द्वारा जारी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के दिशा-निर्देशों के खंड 9 में भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए छूट मांगी और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन करने के निर्देश देने का अनुरोध किया.
याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जनवरी 2023 में केन्द्र सरकार के साथ ही दिल्ली सरकार सहित सभी प्रतिवादी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए थे.
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को भी याचिका के एक पक्ष के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया था.
हालाकि बाद में दिल्ली सरकार के अधिवक्ता ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के पोर्टल में तत्काल बदलाव के लिए आवश्यक कार्यवाही का वादा किया था.